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धूमधाम से मनाया गणगौर का सिंजारा मेहंदी लगाई लोक गीतों एवं नृत्य की दी प्रस्तुती

अजमेर। जीवन का प्रत्येक क्षण आनंद उल्लास से परिपूर्ण हो, लाभकारी हो यह भारतीय संस्कृति का मूल है और सफल दाम्पत्य जीवन, आस्था, पारिवारिक प्रेम, आपसी सौहाद्र्र का महाउत्सव है गणगौर पर्व। धर्म हमारी संस्कृति का मूल है और इस तरह के पारम्परिक पर्व इसकी शाखायें। पाश्चात्य शिक्षा-दीक्षा वहाँ की संस्कृति के प्रभावों की आंधी ने इस वृक्ष को झकझोर जरूर दिया है किन्तु राष्ट्र की नारी शक्ति एवं संस्कारों ने इसे दृढ़ता से थामे हुआ है। इसी की अनुपालनार्थ गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी गणगौर महोत्सव के तहत सिंजारा सुन्दर विलास स्थित गर्ग भवन में धूमधाम से मनाया गया। महिलाओं ने मेहन्दी लगाई गेम्स हाऊजी के साथ पारम्परिक लोक गीतों एवं लोक नृत्य का भरपूर आनन्द लिया।

संयोजिका अरूणा गर्ग ने बताया कि उपरोक्त उत्सव में विख्यात नृत्यांगना स्मिता भार्गव एवं करन सिंह निर्वाण के नेतृत्व में नंनदिनी, निरंजना आशिया, अदित्री, कनिष्ठा, दीपाशा ने टूटे बाजू बन्द री लूम, घूमर एवं किरण वर्मा एवं खुशी ने - ईसरदास जी के सोहे पीली पागड़ी ए माँ, योगिता एवं बालिकाओं द्वारा - गणगौर गीत पेराड़ी, अरूणा, रेणू, राधिका, सुरूची, किरण, संजना द्वारा गणगौर गीत ईसरदास जी तो पेचो बान्धे .... चारूली परनामी एवं दृष्टी गर्ग  ने घूमर एवं भँवर म्हाने पूजन दयो गणगौर पर एवं वर्षा फतेहपुरिया एवं उनकी सहेलियों द्वारा भी भंवर म्हाने पूजन दयो गणगौर पर नृत्य प्रस्तुत किया। संस्था अध्यक्ष उमेश गर्ग ने सभी का आभार प्रकट करते हुए उत्सव की महत्ता एवं उपयोगिता को बताया। आज उत्सव में वनीता जैमन, मानकंवर गोयल, रूपश्री जैन, पुष्प साइन, योगबल वैष्णव, सुनीता शर्मा, कृष्ण वर्मा, सुमन गोयल, गरिमा गर्ग,संध्या, आरती माथुर आदि  उपस्थित रहे।

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