राजस्थान सरकार का विवादित विधेयक बिहार प्रेस बिल से भी बदतर : जगन्नाथ मिश्र
नई दिल्ली। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र ने राजस्थान सरकार के विवादित अध्यादेश की तुलना बिहार प्रेस विधेयक 1982 से की है। गौरतलब है कि जगन्नाथ मिश्र ने पैंतीस साल पहले राजस्थान सरकार के विवादित अध्यादेश के समान ही बिहार में एक विधेयक पेश किया था, जिसमें प्रेस कवरेज को प्रतिबंधित करना और न्यायाधीशों व सरकारी कर्मचारियों की आपराधिक मामलों में जांच से रक्षा करना शामिल था।
जगन्नाथ मिश्र ने कहा कि, राजस्थान सरकार का विवादित अध्यादेश बिहार प्रेस बिल से भी बदतर है, क्योंकि राजस्थान अध्यादेश में किसी भी लोकसेवक के खिलाफ मामला दर्ज कराए जाने से पूर्व सरकार से इसकी अनुमति लेना अनिवार्य किया गया है। साथ ही इस प्रकार से मामलों में मीडिया कवरेज करने वाले को दंडित करते हुए दो साल की जेल का प्रावधान रखा गया है। ऐसा बिहार प्रेस बिल में कुछ नहीं था।
मिश्र ने कहा कि, बिहार प्रेस बिल में हमने केवल अपमानजनक समाचार प्रकाशित नहीं किए जाने का प्रावधान रखाा था। ऐसे में उन्होंने राजस्थान अध्यादेश को सार्वजनिक हित में नहीं होने से इन्कार किया है। वहीं विधेयक को वापस लिए जाने के लिए राजस्थान में किए जा रहे प्रदर्शनों का हवाला देते हुए मिश्र ने कहा कि उन्होंने विधेयक पर लोगों के लोकतांत्रिक अधिकार चुना था।
मिश्र ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और मेनका गांधी के बीच रिश्तों की कड़वाहट संबंधी खबरों की भी बिहार प्रेस विधेयक पेश करने की भूमिका में भागीदारी थी। मेनका गांधी के साथ अपने मतभेदों के बारे में समाचार पत्र में प्रकाशित खबरों को लेकर इंदिरा गांधी परेशान थीं। इस प्रकार की खबरों से वह इतना परेशान थी और तभी मुझे बिहार प्रेस बिल को शुरू करने का विचार आया था।
जगन्नाथ मिश्र ने कहा कि, राजस्थान सरकार का विवादित अध्यादेश बिहार प्रेस बिल से भी बदतर है, क्योंकि राजस्थान अध्यादेश में किसी भी लोकसेवक के खिलाफ मामला दर्ज कराए जाने से पूर्व सरकार से इसकी अनुमति लेना अनिवार्य किया गया है। साथ ही इस प्रकार से मामलों में मीडिया कवरेज करने वाले को दंडित करते हुए दो साल की जेल का प्रावधान रखा गया है। ऐसा बिहार प्रेस बिल में कुछ नहीं था।
मिश्र ने कहा कि, बिहार प्रेस बिल में हमने केवल अपमानजनक समाचार प्रकाशित नहीं किए जाने का प्रावधान रखाा था। ऐसे में उन्होंने राजस्थान अध्यादेश को सार्वजनिक हित में नहीं होने से इन्कार किया है। वहीं विधेयक को वापस लिए जाने के लिए राजस्थान में किए जा रहे प्रदर्शनों का हवाला देते हुए मिश्र ने कहा कि उन्होंने विधेयक पर लोगों के लोकतांत्रिक अधिकार चुना था।
मिश्र ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और मेनका गांधी के बीच रिश्तों की कड़वाहट संबंधी खबरों की भी बिहार प्रेस विधेयक पेश करने की भूमिका में भागीदारी थी। मेनका गांधी के साथ अपने मतभेदों के बारे में समाचार पत्र में प्रकाशित खबरों को लेकर इंदिरा गांधी परेशान थीं। इस प्रकार की खबरों से वह इतना परेशान थी और तभी मुझे बिहार प्रेस बिल को शुरू करने का विचार आया था।
No comments