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गोविन्द के दरबार में "नंद के आनंद भयो... जय कन्हैया लाल की"

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जयपुर।
घंड़ी की दोनों सुइयों ने जैसे ही 12 नंबर को छुआ, वैसे ही कान्हा के जन्म के साथ 'जय गोविंदा जय गोपाला', 'नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की' और 'हाथी-घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की' के उद्घोष से शहर भर के मंदिर परिसर गुंजायमान हो उठे। तमाम मंदिरों में कान्हा के जन्म की बधाईयों को दौर शुरू हो गया। भक्ति में सराबोर श्रृद्धालु आनंद एवं उमंग के चरमोत्कर्ष पर पहुंच उठे और भक्ति में लीन होकर कृष्ण नाम के अमृत रस का पान करने लगे। इसके बाद मंदिरों में श्रीकृष्ण का पंचामृत एवं पिंजरी का प्रसाद वितरित किया गया।

शहर के आराध्य गोविंद देवजी के लाखों श्रृद्धालुओं ने दर्शन किए। मंदिर में सुबह पट खुलने और मंगला आरती से लेकर देर रात्रि तक श्रृद्धालुओं का तांता लगा रहा। रात 12 बजे के बाद श्रीकृष्ण की आरती उतारने के बाद उनको भोग लगाकर भक्तों ने अपना व्रत खोला। शहर के प्रमुख आराध्य देव गोविंददेवजी मंदिर में जन्माष्टमी उत्सव पर आज सुबह से ही मंदिर प्रांगण में भगवान के दर्शनों के लिए श्रृद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। इस दौरान भक्तों ने लाईन में रहकर दर्शन किए। इस दौरान भक्तों को दर्शन के लिए काफी देर इंतजार भी करना पड़ा।

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सुबह मंगला झांकी 3:45 से 4:33 बजे, धूप 7:30 से 9:33 बजे, श्रृंगार 9:45 से 11:30 बजे, राजभोग 11 से 1:30 बजे तक, ग्वाला 4 से 6:30 बजे तक, संध्या आरती 6:45 से 8:30 बजे तक, शयन 9:15 से 10:30 तक, मंगला आरती रात्रि 11 से 11:15 तक, तिथि पूजा अभिषेक 12 बजे से 1:15 बजे तक श्रद्धालुओं ने लगातार दर्शन लाभ लिया। गोविंददेवजी मंदिर के साथ अन्य सभी मंदिरों और प्रतिष्ठानों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दौरान मंदिरों में बांदवाल, रंगीन लाईटे, झालर और फूलों से अनूठी सजावट की गई। भगवान के जन्म महोत्सव के लिए मंदिरों को भव्य रूप से सजाया गया।

मध्य रात्रि तक चले भजन-कीर्तन के बाद भगवान के जन्मोत्सव के साथ ही बधाई गीतों का शोर गुंजायमान हो उठा। ठाकुरजी को मध्यरात्रि 12 बजे जन्माभिषेक कराया गया। मंदिरों में इसके बाद महाआरती के बाद रात 1 बजे से पिंजरी का प्रसाद वितरण किया गया। जन्माष्टमी पर श्रद्धालुजनों ने पूरे दिन व्रत रखा और रात को मन्दिरों में ठाकुरजी के जन्म समय पर आरती के बाद व्रत खोला।

जन्माष्टमी पर्व पर एक ओर शहर में जहां रात 12 बजे ठाकुरजी का जन्मोत्सव मनाया गया। वहीं छोटीकाशी के दो मन्दिरों में दोपहर को आयोजन हुआ। दोपहर 12 बजे ठाकुरजी को जन्माभिषेक कराया गया। इस दौरान कान्हा का मंदिर महंत व पुजारियों के सानिध्य में सर्वऔषधियों युक्त पंचामृत से अभिषेक किया गया। भक्तों के जयकारों से पूरा मंदिर प्रांगण गुंजायमान हो गया।

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चौड़ा रास्ता स्थित राधादामोदरजी मन्दिर व रामगंज के लाड़लीजी मन्दिर में ठाकुरजी का जन्मोत्सव पर भक्तों की अपार भीड़ उमड़ी। इन मन्दिरों में प्राचीन परंपरानुसार दोपहर 12 बजे ठाकुरजी को जन्म अभिषेक करा, महाआरती की गई। इस मौके पर भजन संकीर्तन एवं पद गायन के कार्यक्रम हुए। वहीं मुहाना मंडी रोड़ स्थित इस्कॉन मंदिर में भव्य उत्सव के साथ श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। पूरे शहर में कृष्ण मंदिरों में भगवान कृष्ण की मनोरम झांकी सजाई गई। इस मौके पर पूरा शहर कृष्णमय होता दिखाई दिया।

छोटी काशी में एक ही शोर सुनाई दिया नंद के लला भयो जय कन्हैया लाल की। कान्हा की जय, मुरली वाले की जय से मंदिर गूंज उठे। जयपुर शहर पूरी तहर देर रात तक कृष्ण भक्ति में खोया दिखाई दिया। लोगों ने कान्हा जन्म का उत्सव पूरे धूमधाम, श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया।

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