IIHMR यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 'एथिकल लीडरशिप एण्ड वैल्यूज' में 50 अमेरिकी प्रतिनिधि शामिल
जयपुर। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन "एथिकल लीडरशिप एण्ड वैल्यूज" में 50 अमेरिकी प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन के मास्टर ट्रेनर एवं मुख्य अतिथि गुरूदेव श्री अर्मितजी, संस्थापक और आध्यात्मिक निदेशक, अर्मित योग संस्थान, फ्लोरिडा, यूएसए थे। उनके अतिरिक्त इस सम्मेलन के अन्य गणमान्य व्यक्तियों में कामीनी देवी (पीएचडी), कार्यकारी निदेशक, अर्मित योगा इंस्टिट्यूट, फ्लोरिडा, यूएसए, प्रो. (डॉ.) संजीव पी. साहनी, प्रिन्सीपल डायरेक्टर एवं बोर्ड मैम्बर, ओपी जिन्दल ग्लोबल यूनिवर्सिटी, सोनीपत, डॉ. भीमार्या मैत्री, डायरेक्टर, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, तिरूचिरापल्ली तथा डॉ. पंकज गुप्ता, प्रेसिडेंट, आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी शामिल थे।
सम्मेलन के दौरान आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी एवं अर्मित योगा इंस्टिट्यूट, फ्लोरिडा, यूएसए के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये। समझौता ज्ञापन "वैलनेस एण्ड हैल्थ" को बढ़ावा देगा एवं दोनों संस्थानों के लाभ के लिए शैक्षणिक कार्यक्रम जिसमें संयुक्त प्रक्षिण और विनिमय कार्यक्रम शामिल होंगे तथा संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं और योग निद्रा कार्यशालाओं का संचालन किया जायेगा।
गुरूदेव अर्मितजी ने "खुशी व आन्नद" तथा "प्यार व रिश्तों" विषय पर छात्रों एवं प्रतिनिधियों के लिए एक ऊर्जावान सत्र का नेतृत्व किया। अर्मितजी ने योग पर मन के संशोधन और आध्यात्मिक अनुशासन के रूप में इसके सार को भी विस्तार पूर्वक छूआ। उन्होंने कहा कि, संतुलन लाने के लिए आध्यात्मिकता अन्दर एवं बाहर, दोनों महत्वपूर्ण है। योग शरीरिक माध्यम से शुरू नहीं होता बल्कि ध्यान से शुरू होता है। एकता का अंतिम एकीकरण योग है जो कि एक आध्यात्मिक अनुशासन है। आध्यात्मिकता कारणों का इलाज करती है, जबकि विज्ञान उपचार करने के लिए साधन प्रदान करता है और करणों को संबोधित नहीं करता है।
डॉ. पंकज गुप्ता ने कहा कि बिना शर्त प्यार स्वाभाविक है और आत्मनिर्भर है। खुशी का स्रोत हमारे भीतर है और हमें अपनी खुद की खुशी खोजने की जरूरत है। हमें मांग करना और न देना सीखना होगा। कोई तुम्हें पूरा नही कर सकता, लेकिन हम सवयं में पूर्ण हैं।
कामीनी देवी ने छात्रों के लिए तनाव प्रबंघन पर एक कार्यशाला ली जिसमें उन्होंने तनाव को खत्म करने के बारे में बताते हुए कहा कि, जब तनाव और विश्राम संतुलन से बाहर हो जाते हैं तो यह बीमारी पैदा होती है। हमारा शरीर 60 से 90 सैकेंड तक तनाव को सहन करने के लिए बना है, लेकिन हमारे मन में जो तनाव पैदा होता है, वह हमारे साथ लम्बे समय तक रहता है। चीजें तनाव पैदा नहीं करतीं हैं, लेकिन चीजों का प्रतिरोध तनाव का कारण बनता है। हमें प्रतिरोध से स्वीकृती तक खुद को वापस लाना चाहएि। तनाव को कम करने के लिए हम, माइंडफुलनेस या ध्यान का अभ्यास करते हैं।
प्रो. (डॉ.) संजीव पी. साहनी ने एक उत्तेजक सत्र का नेतृत्व करते हुए कहा कि, बचपन में जो भी हम सीखते हैं उसका 99 प्रतिशत हिस्सा हमारे माता-पिता से आता है। हमारा विश्वास, निर्णय, राय और नैतिकता मिलकर हमारा दृष्टि कोण बनाते हैं। हमारी सफलता, असफलता हमारे रवैये पर निर्भर करती है। सम्मेलन की थीम पर स्पर्श करते हुए उन्होंने रेखांकित किया कि नैतिक नेतृत्व दूसरों के प्रति हमारे उपचार द्वारा परिभाषित किया गया है। इस अवसर पर डॉ. भीमार्या मैत्री ने बदलते उद्योग के माहौल को साथ बनाये रखने के लिए अनलिस्टिंग, अपस्किलिंग और रीस्किलिंग के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि भविष्य का नेतृत्व प्रासंगिक नेतृत्व के लिए कैसे परिवर्तित होगा।
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का समापन गाला डिनर तथा राजस्थानी लोक नृत्य से हुआ जिसमें राजस्थानी कलाकार बाबू खान और उनके सहयोगियों द्वारा पधारो म्हारे देस, भवई एवं कालबेलिया नृत्य की प्रस्तुति दी।
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