राजस्थान पुलिस महानिदेशक ने किया बाल दुर्व्यापार विरोधी अभियान का शुभारम्भ
जयपुर। राजस्थान के पुलिस महानिदेशक भूपेन्द्र सिंह ने कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (KACF) के बाल दुर्व्यापार (ट्रैफिकिंग) विरोधी अभियान मुक्ति कारवां का शुक्रवार को जयपुर में उद्घाटन किया। गौरतलब है कि केएससीएफ और राजस्थान पुलिस दोनों मिलकर राज्य में दो महीने तक बच्चों और महिलाओं के खिलाफ बाल दुर्व्यापार विरोधी जन-जागरुकता अभियान चलाएंगे।
कार्यक्रम के शुभारंभ पर बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) के कार्यकारी निदेशक धनंजय टिंगल ने कहा पिछले महीने सूरत से 137 बच्चों को बाल दासता से मुक्त कराने के लिए राजस्थान पुलिस को बधाई देते हैं। राजस्थान में बाल दुर्व्यापार को समाप्त करने की दिशा में काम करने के लिए हम राजस्थान पुलिस और मानव विरोधी दुर्व्यापार ईकाई (एएचटीयू) राजस्थान की साझेदारी की भी सराहना करते हैं। हमें विश्वास है कि यह साझेदारी राजस्थान को बच्चों को सुरक्षित करने की दिशा में काम करेगी। अभियान टोंक, भीलवाड़ा, उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा जिलों के उन गांवों और कस्बों में चलाया जाएगा, जहां बाल दुर्व्यापार के सबसे ज्यादा मामले हैं।
उन्होंने कहा कि मुक्ति कारवां बाल दुर्व्यापार से निपटने के लिए अपना ध्यान जन जागरुकता पर केंद्रित करेगा। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि राजस्थान चैप्टर के मुक्ति कारवां अभियान का संचालन मुकेश करेगा, जो खुद एक एक बाल श्रमिक रह चुका है। मुकेश को बाल दासता से मुक्त कराकर विराटनगर के 'बल आश्रम' में पुनर्वास किया गया था।
इस अवसर पर मुकेश ने कहा मुझे बीबीए के कार्यकर्ताओं ने बाल मजदूरी से मुक्त कराया था। मैं बाल आश्रम में बड़ा हुआ और वहीं एक स्वतंत्र और सुरक्षित जीवन महसूस किया। राज्य में बाल दुर्व्यापार के खिलाफ चलाए जाने वाले मुक्ति कारवां अभियान का नेतृत्व करना मेरे लिए सम्मान की बात है। मैं अभियान के दौरान बाल मजदूरी और बाल दुर्व्यापार के खतरों के प्रति लोगों को आगाह करूंगा। मुकेश ने कहा कि मुक्ति कारवां जन जागरुकता अभियान के दौरान बाल दुर्व्यापार के खिलाफ तत्काल शिकायत करने के लिए लोगों से बीबीए का हेल्पलाइन नंबर भी साझा किया जाएगा।
मुक्ति कारवां गांव-गांव में घूमकर बाल दुर्व्यापार, बाल मजदूरी और बाल यौन शोषण जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जन जागरुकता फैलाने का काम करेगा। इस दस्ते में कई नौजवान होंगे। ये नौजवान नुक्कड़ नाटक, दीवार लेखन, जन जागरण गीत, छोटी-छोटी बैठकों और सभाओं के जरिए बच्चों की खरीद-फरोख्त के कारोबार, बच्चों के यौन शोषण और उसे रोकने के उपाय और कानूनों के बारे में लोगों को जागरूक करेंगे। राजस्थान में मुक्ति कारवां जन जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से बाल मजदूरी की समस्या पर बनी फिल्म 'झलकी' का भी प्रदर्शन करेगा।
कार्यक्रम में अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए टिंगल ने कहा कि मुक्ति कारवां बाल दुर्व्यापार की समस्या से जूझ रहे गांवों और कस्बों में जन-जागरुकता फैलाएगा। यह लोगों को दुर्व्यापार की समस्या से निपटने हेतु बने कानूनों की जानकारी देगा। टिंगल कहते हैं कि केएससीएफ लोगों से अपील करता है कि वे बाल दुर्व्यापार के खिलाफ बीबीए के हेल्पलाइन नंबर पर तत्काल शिकायत दर्ज करें। हम मीडिया से भी अनुरोध करते हैं कि वह राज्य में दुर्व्यापार के मामलों को सामने लाने और पीड़ितों के पुनर्वास में मदद करें।
मानव दुर्व्यापार विरोघी ईकाई (एएचटीयू) मुक्ति कारवां के साथ मिलकर जागरूकता फैलाएगी। इसमें जिन-जिन जिलों में मुक्ति कारवां अभियान चलाया जाएगा, उसमें जिला पुलिस अधीक्षक भी शामिल होंगे। पुलिसकर्मी मुक्ति कारवां के कार्यकर्ताओं के साथ लोगों को अपराधों से निपटने के बारे में जागरूक और संवेदनशील करेंगे। बीबीए राजस्थान पुलिस के साथ 2015 से काम कर रहा है।
गौरतलब है कि पिछले सालए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित श्री कैलाश सत्यार्थी ने मुख्यमंत्री आशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट से मुलाकात की थी और उनसे राज्य में दुर्व्यापार के खिलाफ काम करने के लिए एएचटीयू को मजबूत करने की अपील की
थी। साथ ही उन्होंने राज्य सरकार से बाल विवाह को दूर करने की भी बात की थी। मुक्ति कारवां 1997 से शुरू होकर बाल दुर्व्यापार बहुल राज्यों में भ्रमण करते हुए अब तक 4 लाख से अधिक किलोमीटर की यात्रा तय कर लाखों लोगों को बाल दुर्व्यापार के खिलाफ जागरूक कर चुका है।
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