भारत की जनसंख्या वृद्धि 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर तक कम हुई है : डाॅ. गुप्ता
जयपुर। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी और यूएनएफपीए के संयुक्त तत्वावधान में 'परिवार नियोजन एवं प्रजनन स्वास्थ्य कमोडिटी सुरक्षा' पर यहां अंतरराष्ट्रीय ट्रैनिंग प्रोग्राम शुरू किया गया। यह अंतरराष्ट्रीय ट्रेनिंग प्रोग्राम 4 नवम्बर से 15 नवम्बर 2019 तक चलेगा। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रो प्रेसीडेंट एवं डीन ट्रेनिंग डाॅ. पीआर सोडानी ने इस ट्रैनिंग कार्यक्रम की शुरूआत की।
आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के चेयरमैन डाॅ. एसडी गुप्ता ने इस अंतरराष्ट्रीय ट्रैनिंग प्रोग्राम में भाग ले रहे सभी प्रतिनिधियों से कहा कि पूरे विश्व में लगभग 7.7 अरब जनसंख्या है, जिसमें एक बड़ा हिस्सा हमारे एशिया पैसेफिक क्षेत्र में 4.3 अरब है, जो कि विश्व की कुल जनसंख्या का 60 प्रतिशत है और यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है, जो कि एक चिंता का विषय है।
डाॅ. गुप्ता के अनुसार अगर जनसंख्या वृद्धि का स्तर इसी प्रकार से चलता रहा तो इस सदी के अंत तक हमारे एशिया पैसेफिक क्षेत्र में जनसंख्या स्तर लगभग 13 अरब तक पहुंच सकता है। पूरे विश्व में दो ही देश चीन व भारत ऐसे हैं, जिनमें की विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या है। भारत एक ऐसा देश है, जहां विश्व की सबसे अधिक युवा जनसंख्या है।
1947 से लेकर अब तक भारत की बढ़ती जनसंख्या वृद्धि का स्तर अत्यधिक दु:खद है तथा इसी प्रकार से रहा तो आगामी 5 वर्षों में भारत की जनसंख्या चीन की जनसंख्या का आंकड़ा पार कर जाएगी। हालांकि भारत की जनसंख्या वृद्धि 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर तक कम हो गई है। भारत में बढ़ती जनसंख्या प्रमुख कारण परिवार नियोजन और प्रजनन स्वास्थ्य में जागरूकता की कमी तथा स्वास्थ्य सेवाओं अनुपब्धता है।
डाॅ. सोडानी के अनुसार परिवार नियोजन एवं प्रजनन स्वास्थ्य कमोडिटी सुरक्षा पर अंतरराष्ट्रीय ट्रैनिंग प्रोग्राम का यह चौथा संस्करण है। इस ट्रैनिंग कार्यक्रम में भारत सहित 11 देशों से प्रतिनिधियों ने भाग लिया है। इनमें अफगानिस्तान, बांगलादेश, फीजी, भारत, किरीबाति, म्यामार, नेपाल, पापुआ न्यू गिनि, श्रीलंका, टोंगा इत्यादि देशों से 24 प्रतिनिधि शामिल हैं।
आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के चेयरमैन डाॅ. एसडी गुप्ता ने इस अंतरराष्ट्रीय ट्रैनिंग प्रोग्राम में भाग ले रहे सभी प्रतिनिधियों से कहा कि पूरे विश्व में लगभग 7.7 अरब जनसंख्या है, जिसमें एक बड़ा हिस्सा हमारे एशिया पैसेफिक क्षेत्र में 4.3 अरब है, जो कि विश्व की कुल जनसंख्या का 60 प्रतिशत है और यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है, जो कि एक चिंता का विषय है।
डाॅ. गुप्ता के अनुसार अगर जनसंख्या वृद्धि का स्तर इसी प्रकार से चलता रहा तो इस सदी के अंत तक हमारे एशिया पैसेफिक क्षेत्र में जनसंख्या स्तर लगभग 13 अरब तक पहुंच सकता है। पूरे विश्व में दो ही देश चीन व भारत ऐसे हैं, जिनमें की विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या है। भारत एक ऐसा देश है, जहां विश्व की सबसे अधिक युवा जनसंख्या है।
1947 से लेकर अब तक भारत की बढ़ती जनसंख्या वृद्धि का स्तर अत्यधिक दु:खद है तथा इसी प्रकार से रहा तो आगामी 5 वर्षों में भारत की जनसंख्या चीन की जनसंख्या का आंकड़ा पार कर जाएगी। हालांकि भारत की जनसंख्या वृद्धि 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर तक कम हो गई है। भारत में बढ़ती जनसंख्या प्रमुख कारण परिवार नियोजन और प्रजनन स्वास्थ्य में जागरूकता की कमी तथा स्वास्थ्य सेवाओं अनुपब्धता है।
डाॅ. सोडानी के अनुसार परिवार नियोजन एवं प्रजनन स्वास्थ्य कमोडिटी सुरक्षा पर अंतरराष्ट्रीय ट्रैनिंग प्रोग्राम का यह चौथा संस्करण है। इस ट्रैनिंग कार्यक्रम में भारत सहित 11 देशों से प्रतिनिधियों ने भाग लिया है। इनमें अफगानिस्तान, बांगलादेश, फीजी, भारत, किरीबाति, म्यामार, नेपाल, पापुआ न्यू गिनि, श्रीलंका, टोंगा इत्यादि देशों से 24 प्रतिनिधि शामिल हैं।
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