Breaking News

अजमेर की बेटी पूर्णिमा ने हेकाथन 2019 किया नाम रोशन

अजमेर। मानव संसाधन एवं विकास मंत्रलय के तत्वावधान में देश भर में आयोजित स्मार्ट इंडिया हेकाथन 2019 में अजमेर की बेटी पूर्णिमा ने राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम पुरस्कार जीतकर नगर का नाम रोशन किया है।

इस प्रतियोगिता के प्रथम चरण में लगभग दो लाख विद्यार्थियों ने भाग लिया था। अंतिम चरण के लिए इनमें से लगभग दस हजार विद्यार्थियों का चयन किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा युवाओं से बात करके उन्हें प्रोत्साहित किया।

पूर्णिमा और उनकी टीम ने मस्तिष्क की एमआरआई प्रक्रिया में आने वाली गंभीर त्रुटि के समाधान के लिए सॉफ्टवेयर का विकास किया। पूर्णिमा ने जानकारी देते हुए बताया, ‘‘पहले यह कार्य मैनुअली किया जाता था और इससे कुछ दिन का समय लगता था। हमारा  साफ्टवेयर यह कार्य एक मिनट से भी कम समय में कर देता है। नतीजे सटीक होने के कारण इलाज भी प्रभावित होता है। अब इस सॉफ्टवेयर के जरिए मस्तिष्क सेगमेंट की थ्री डी इमेज देखकर , इसे सेव करके पुनः कार्य किया जा सकता है। इसमें मस्तिष्क के ट्यूमर और द्रव को थ्री डी इमेज में अलग अलग देखा जा सकता है जो पहले संभव नहीं था।

इस प्रतियोगिता के लिए देश के जानेमाने संस्थानों द्वारा विषय दिए गए थे। इस टीम का विषय ‘भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर‘ द्वारा दिया गया था। इसके दो भाग थे- हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर। इनकी टीम ने ‘एम आर आई ब्रेन सेगमेंटेान यूजाग लर्निंग एंड इमेज
प्रोसेसिंग‘ विषय चुना था। टीम को लगातार 36 घंटों तक निर्णायकों के सामने कार्य करना था। उन्होंने कोडिंग, डीबगिंग, बेकएंड, यूजर इंटरफेस आदि कार्य किए थे। बीच में विश्राम के लिए टीम के सभी सदस्य एकसाथ नहीं जा सकते थे।

फिर सभी के कार्य निर्णायकों द्वारा परखे गए। निर्णायक मंडल में ‘भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर‘ की डॉ विभूति गुग्गल और प्रो फूलचंद शामिल थे। पूर्णिमा ने आगे कहा हमारा उद्देश्य पुरस्कार प्राप्त करना नहीं था। हम वास्तव में मरीजों के लिए कुछ ऎसा समाधानचाहते थे जिससे उनकी चिकित्सा बेहतर ढंग से हो सके। हम यह दावा नहीं करते कि यही अंतिम लक्ष्य है। हमें आगे भी बहुत कार्य करना है। इसकी बेहतरी के लिए एक लंबी यात्र तय करनी है। यह तो बस एक शुरुआत है।

स्मार्ट इंडिया हेकाथन का प्रारंभ 2017 में किया गया था। इसका उद्देश्य युवा इंजीनियर्स के माध्यम से समस्याओं के व्यावहारिक समाधान की ओर कदम बढ़ाना है।

ज्ञातव्य है कि पूर्णिमा के पिता डॉ विकास सक्सेना अजमेर के जेएलएन मेडिकल कॉलेज में शरीर रचना विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। पूर्णिमा ने प्रारंभिक शिक्षा अजमेर के मयूर स्कूल से पाई। फिर कक्षा नौ से बारह चेन्नई के लालाजी मेमोरियल ओमेगा इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ीं। वर्तमान में ये राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान दुर्गापुर , पश्चिम बंगाल में बायाटेक इंजीनियरिंग की द्वितीय वर्ष की छात्र हैं। वे अपनी छः सदस्यों की टीम के साथ अपनेसंस्थान का प्रतिनिधित्व कर रही थीं। पुरस्कार के रूप में टीम को एक लाख रुपए व प्रमाणपत्र दिए गए। इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल मेक इन इंडिया योजना के तहत भारत सरकार द्वारा किया जाएगा।


No comments