वायुसेना में जल्द ही शामिल हो सकती है हवा में हवा से मार करने वाली स्वदेशी विजुअल रैंज 'अस्त्र' मिसाइल
नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना में शामिल किए जाने के प्रयासों में स्वदेशी विजुअल रैंज मिसाइल 'अस्त्र' ने एक कदम और आगे बढ़ाया है। हवा में हवा से मार करने का माद्दा रखने वाली मिसाइल अस्त्र के परीक्षण पूरे कर लिए गए हैं, जिसके बाद अब इसे जल्द ही वायुसेना में शामिल किया जा सकता है। बताया जाता है कि यह मिसाइल 40 से 60 किलोमीटर की दूरी पर टारगेट तबाह करने की ताकत रखती है।
रक्षा मंत्रालय की ओर से आज जारी किए एक बयान में कहा कि 11 से 14 सितंबर तक ओडिशा में चांदीपुर अपतटीय क्षेत्र में बंगाल की खाड़ी के ऊपर अस्त्र बीवीआरएएएम के अंतिम विकास उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक आयोजित किए गए। लक्ष्य के रूप में पायलट रहित विमान को निशाना बनाते हुए सफलतापूर्वक कुल सात परीक्षण किए गए। दृश्य सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल अस्त्र के सफल परीक्षण ने इसे भारतीय वायुसेना में शामिल किए जाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।
यह मिसाइल प्रणाली भारतीय वायुसेना के सहयोग से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित की गई है। हथियार प्रणाली को विकसित करने में रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के कई उपक्रमों और 50 से अधिक सार्वजनिक एवं निजी उद्यमों ने योगदान दिया है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने मिसाइल के सफल परीक्षणों पर डीआरडीओ, वायुसेना, रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और उद्यमों को बधाई दी।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सफल परीक्षणों के साथ हथियार प्रणाली का विकास चरण सफलतापूर्वक पूरा हो गया। डीआरडीओ की मिसाइल एवं रणनीतिक प्रणालियों के महानिदेशक जी सतीश रेड्डी ने कहा कि कार्यक्रम के तहत विकसित प्रौद्योगिकियां हवा से हवा में और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के अधिक संस्करणों के विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगी। मंत्रालय ने कहा कि उड़ान परीक्षणों में अत्यधिक लंबी दूरी और मध्यम दूरी पर कई लक्ष्यों को निशाना बनाने के परीक्षण भी शामिल थे। इसने कहा कि सभी उप् प्रणालियों ने बेहद सटीक प्रदर्शन किया और मिशन के सभी मानकों को पूरा किया।
आपको बता दें कि अस्त्र से जुड़े प्रॉजेक्ट को साल 2004 में मंजूरी मिली थी। सरकार की ओर से बताया गया है कि 11 से 14 सितंबर के बीच बंगाल की खाड़ी में चांदीपुर तट पर इसका डिवेलपमेंट फ्लाइट ट्रायल किया गया, जो बिना पायलट वाले टारगेट विमान के खिलाफ था। एक साथ कई टारगेट को तबाह करने के लिए कई मिसाइलों को एक साथ छोड़ा गया। बताया गया है कि सभी सिस्टम ने सफलतापूर्वक काम किया। रक्षा संगठन डीआरडीओ इस तरह के अत्याधुनिक मिसाइल बनाने के लिए वायुसेना के साथ काम कर रहा है। इसमें 50 से ज्यादा पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर कंपनियों की भागीदारी भी है।
रक्षा मंत्रालय की ओर से आज जारी किए एक बयान में कहा कि 11 से 14 सितंबर तक ओडिशा में चांदीपुर अपतटीय क्षेत्र में बंगाल की खाड़ी के ऊपर अस्त्र बीवीआरएएएम के अंतिम विकास उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक आयोजित किए गए। लक्ष्य के रूप में पायलट रहित विमान को निशाना बनाते हुए सफलतापूर्वक कुल सात परीक्षण किए गए। दृश्य सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल अस्त्र के सफल परीक्षण ने इसे भारतीय वायुसेना में शामिल किए जाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।
यह मिसाइल प्रणाली भारतीय वायुसेना के सहयोग से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित की गई है। हथियार प्रणाली को विकसित करने में रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के कई उपक्रमों और 50 से अधिक सार्वजनिक एवं निजी उद्यमों ने योगदान दिया है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने मिसाइल के सफल परीक्षणों पर डीआरडीओ, वायुसेना, रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और उद्यमों को बधाई दी।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सफल परीक्षणों के साथ हथियार प्रणाली का विकास चरण सफलतापूर्वक पूरा हो गया। डीआरडीओ की मिसाइल एवं रणनीतिक प्रणालियों के महानिदेशक जी सतीश रेड्डी ने कहा कि कार्यक्रम के तहत विकसित प्रौद्योगिकियां हवा से हवा में और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के अधिक संस्करणों के विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगी। मंत्रालय ने कहा कि उड़ान परीक्षणों में अत्यधिक लंबी दूरी और मध्यम दूरी पर कई लक्ष्यों को निशाना बनाने के परीक्षण भी शामिल थे। इसने कहा कि सभी उप् प्रणालियों ने बेहद सटीक प्रदर्शन किया और मिशन के सभी मानकों को पूरा किया।
आपको बता दें कि अस्त्र से जुड़े प्रॉजेक्ट को साल 2004 में मंजूरी मिली थी। सरकार की ओर से बताया गया है कि 11 से 14 सितंबर के बीच बंगाल की खाड़ी में चांदीपुर तट पर इसका डिवेलपमेंट फ्लाइट ट्रायल किया गया, जो बिना पायलट वाले टारगेट विमान के खिलाफ था। एक साथ कई टारगेट को तबाह करने के लिए कई मिसाइलों को एक साथ छोड़ा गया। बताया गया है कि सभी सिस्टम ने सफलतापूर्वक काम किया। रक्षा संगठन डीआरडीओ इस तरह के अत्याधुनिक मिसाइल बनाने के लिए वायुसेना के साथ काम कर रहा है। इसमें 50 से ज्यादा पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर कंपनियों की भागीदारी भी है।
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