गुर्जरों समेत पांच जातियों को फिर किया अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल
जयपुर। राज्य सरकार द्वारा आज एक अधिसूचना जारी कर गुर्जरों समेत पांच जातियों को एक बार फिर से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल किया गया है। अधिसूचना के मुताबिक गुर्जर, रैबारी, बंजारा, गड़रिया और गाड़िया लोहार को विशेष पिछड़ा वर्ग से अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया है, जो कि 9 दिसम्बर 2016 से ही अन्य पिछड़ा वर्ग में मानी जाएगी। वहीं दूसरी ओर, सरकार के इस फैसले को लेकर विरोध भी शुरू हो गया है। सरकार के इस आदेश का गुर्जरों ने विरोध शुरू कर दिया है और इसके तहत वे प्रदेशभर में जगह—जगह श्रद्धांजलि सभाएं कर सरकार के फैसले का विरोध प्रदर्शित करेंगे।
सरकार के इस फैसले के बारे में प्रतिक्रिया देते हुए गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रवक्ता हिम्मत सिंह गुर्जर ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, हमारे पिछले 13 सालों से किए जा रहे संघर्ष के बावजूद इसका कोई सार्थक नतीजा अभी तक निकल पाया है। इसके बावजूद आज एक बार फिर से गुर्जरों को ओबीसी में शामिल किया जाना एक प्रकार से धोखे के समान है। ऐसे में हम 23-24 मई को कारवाडी, पीलूकापुरा, सिकंदरा में श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित कर वसुंधरा सरकार के इस धोखे को समाज को बताएंगे।
गौरतलब है कि इससे पूर्व राज्य सरकार ने विभिन्न परिपत्र निकालकर गुर्जरों समेत पांच जातियों को विशेष पिछड़ा वर्ग में क्रमश: 5 प्रतिशत आरक्षण दिया था, लेकिन पांच प्रतिशत आरक्षण देने पर आरक्षण का कुल कोटा 54 प्रतिशत हो गया था। जबकि यह कोटा सुप्रीम कोर्ट के तय किए गए कुल 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। ऐसे में राज्य सरकार के इस फैसले को चुनौती दी गई थी और तभी से यह मामला ठंडे बस्ते में था।
सरकार के इस फैसले के बारे में प्रतिक्रिया देते हुए गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रवक्ता हिम्मत सिंह गुर्जर ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, हमारे पिछले 13 सालों से किए जा रहे संघर्ष के बावजूद इसका कोई सार्थक नतीजा अभी तक निकल पाया है। इसके बावजूद आज एक बार फिर से गुर्जरों को ओबीसी में शामिल किया जाना एक प्रकार से धोखे के समान है। ऐसे में हम 23-24 मई को कारवाडी, पीलूकापुरा, सिकंदरा में श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित कर वसुंधरा सरकार के इस धोखे को समाज को बताएंगे।
गौरतलब है कि इससे पूर्व राज्य सरकार ने विभिन्न परिपत्र निकालकर गुर्जरों समेत पांच जातियों को विशेष पिछड़ा वर्ग में क्रमश: 5 प्रतिशत आरक्षण दिया था, लेकिन पांच प्रतिशत आरक्षण देने पर आरक्षण का कुल कोटा 54 प्रतिशत हो गया था। जबकि यह कोटा सुप्रीम कोर्ट के तय किए गए कुल 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। ऐसे में राज्य सरकार के इस फैसले को चुनौती दी गई थी और तभी से यह मामला ठंडे बस्ते में था।
No comments