मुख्यमंत्री नि:शुल्क जांच योजना में हो रही है खानापूर्ति
सेम्पल की जांच किये बिना ही बना देते हैं रिपोर्ट.....
कोटा । बून्दी जिले के हिण्डोली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हिंडोली में मुख्यमंत्री नि:शुल्क जांच योजना के अंतर्गत जांच करने के नाम पर आम आदमी के जीवन के साथ खिलवाड़ करते नजर आ रहे हैं। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण है 29 जुलाई को हिण्डोली स्थानीय निवासी राम गौड़ के पांच वर्षीय पुत्र देवांश उर्फ देवांक की पीलिया की जांच रिपोर्ट।
राम गौड़ ने बताया कि देवांश के पीलिया होने की शंका पर डॉ. नवीन सरकार को दिखाया जिन्होंने जांच करवाने के लिए कहा। मुख्यमंत्री नि:शुल्क जांच योजना काउंटर पर जाकर पीलिया की जांच करवाई। जांचकर्ता ने रिपोर्ट में बालक के पीलिया नहीं होना बताया। सरकारी अस्पताल की जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हो कर परिजनों ने बालक के पीलिया होने की जांच निजी क्लीनिक पर करवाई जहां पीलिया होने की पुष्टि पाई गई।
पीलिया जैसी गंभीर बीमारी की जांच सरकारी जांच केंद्र पर सही नहीं आना रोगी के जीवन के साथ भारी खिलवाड़ है। जानकार सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री नि:शुल्क जांच योजना के अंतर्गत कर्मचारी खानापूर्ति करके की जांच रिपोर्ट बना देते हैं। जो सैंपल लेते हैं उसकी वह अधिकतर जांच ही नहीं करते हैं मन से ही आंकड़े लिखकर रोगी के परिजनों को पकड़ा देते हैं। इससे पूर्व में भी कई परिजनों के साथ ऐसा हुआ पर आम आदमी की बात न तो अधिकारी सुनते हैं नहीं चिकित्सा विभाग के कर्मचारी इसलिए आम आदमी किसी से कुछ नहीं कहता और कर्मचारी द्वारा किये वज्रपात को चुपचाप घर बैठ सह जाता है।
पीड़ित के पिता राम गौड़ ने ऐसी लापरवाही करने वाले कर्मचारीयों पर जिला कलक्टर से कार्यवाही की मांग की है।
इस बारे में चिकित्सा अधिकारी जगवीर सिंह ने बताया ऐसा मामला जानकारी में नही आया है अगर ये बात सच है तो लापरवाही करने वालो के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी ।
एसडीएम मुकेश चौधरी ने कहा है की जगवीर सिंह चिकित्सा अधिकारी को रिपोर्ट भेज दी है और आवश्यक कार्यवाही करने को कहा है ।
कोटा । बून्दी जिले के हिण्डोली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हिंडोली में मुख्यमंत्री नि:शुल्क जांच योजना के अंतर्गत जांच करने के नाम पर आम आदमी के जीवन के साथ खिलवाड़ करते नजर आ रहे हैं। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण है 29 जुलाई को हिण्डोली स्थानीय निवासी राम गौड़ के पांच वर्षीय पुत्र देवांश उर्फ देवांक की पीलिया की जांच रिपोर्ट।
राम गौड़ ने बताया कि देवांश के पीलिया होने की शंका पर डॉ. नवीन सरकार को दिखाया जिन्होंने जांच करवाने के लिए कहा। मुख्यमंत्री नि:शुल्क जांच योजना काउंटर पर जाकर पीलिया की जांच करवाई। जांचकर्ता ने रिपोर्ट में बालक के पीलिया नहीं होना बताया। सरकारी अस्पताल की जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हो कर परिजनों ने बालक के पीलिया होने की जांच निजी क्लीनिक पर करवाई जहां पीलिया होने की पुष्टि पाई गई।
पीलिया जैसी गंभीर बीमारी की जांच सरकारी जांच केंद्र पर सही नहीं आना रोगी के जीवन के साथ भारी खिलवाड़ है। जानकार सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री नि:शुल्क जांच योजना के अंतर्गत कर्मचारी खानापूर्ति करके की जांच रिपोर्ट बना देते हैं। जो सैंपल लेते हैं उसकी वह अधिकतर जांच ही नहीं करते हैं मन से ही आंकड़े लिखकर रोगी के परिजनों को पकड़ा देते हैं। इससे पूर्व में भी कई परिजनों के साथ ऐसा हुआ पर आम आदमी की बात न तो अधिकारी सुनते हैं नहीं चिकित्सा विभाग के कर्मचारी इसलिए आम आदमी किसी से कुछ नहीं कहता और कर्मचारी द्वारा किये वज्रपात को चुपचाप घर बैठ सह जाता है।
पीड़ित के पिता राम गौड़ ने ऐसी लापरवाही करने वाले कर्मचारीयों पर जिला कलक्टर से कार्यवाही की मांग की है।
इस बारे में चिकित्सा अधिकारी जगवीर सिंह ने बताया ऐसा मामला जानकारी में नही आया है अगर ये बात सच है तो लापरवाही करने वालो के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी ।
एसडीएम मुकेश चौधरी ने कहा है की जगवीर सिंह चिकित्सा अधिकारी को रिपोर्ट भेज दी है और आवश्यक कार्यवाही करने को कहा है ।
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