आखातीज व पीपल पूर्णिमा पर बाल विवाह रोकथाम के लिए दिए निर्देश
अजमेर। अजमेर जिले में 7 मई को अक्षय तृतीया एवं 18 मई को पीपल पूर्णिमा पर बाल विवाह पर रोकथाम के लिए विशेष निगरानी रखी जाएगी।
जिला मजिस्ट्रेट विश्व मोहन शर्मा ने बताया कि कलेक्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक कार्यालय, उपखण्ड अधिकारी एवं तहसील कार्यालयों में नियंत्रण कक्ष स्थापित किये गये हैं। जो 24 घण्टे कार्यशील रहेंगे। कलेक्ट्रेट अजमेर के लिए अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट शहर, अजमेर नियंत्रण कक्ष के प्रभारी, उपखण्ड मुख्यालय पर संबंधित उपखण्ड अधिकारी (बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी) एवं तहसील मुख्यालय पर संबंधित तहसीलदार (बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी) नियंत्रण कक्ष के प्रभारी होंगे।
उन्होने बताया कि जिले में गठित विभिन्न स्वयं सहायता समूह, किशोरी समूह, महिला समूह, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, साथिन, सहयोगिनी बाल विवाह के विरूद्ध वातावरण निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। ऎसे व्यक्ति व समुदाय जो विवाह सम्पन्न कराने में सहयोगी होते है यथा - पण्डित, पण्डाल व टेंट लगाने वाले, हलवाई, ट्रांसपोटर्स, प्रिन्टर्स, बैण्ड-बाजा इत्यादि पर बाल विवाह में सहयोग ना करने के लिए प्रेरित करने के साथ ही इस संबंध में कानूनी प्रावधानों की भी जानकारी दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि गांव मौहल्लों के उन परिवारों में जहां बाल विवाह होने की आशंका हो, वहां समन्वित रूप से समझाईश की जाएगी। बाल विवाहों की रोकथाम हेतु विभिन्न विभाग यथा- महिला एवं बाल विकास विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, पंचायत समिति के ग्राम स्तरीय कार्मिकों को प्रभावी कार्यवाही करने के लिए निर्देशित किया गया है। साथ ही पटवारी, ग्राम सेवक, अध्यापक/ अध्यापिका इत्यादि को बाल विवाह की आशंका/ सूचना होने पर निकट के पुलिस स्टेशन में सूचना देने हेतु पाबंद किया गया है।
उन्होंने बताया कि उपखण्ड अधिकारी/ तहसीलदारों को निर्देशित किया गया है कि बाल विवाह निषेध अधिकारी के रूप में सक्रिय रहकर बेहतर तरीके से कर्तव्यों का निर्वहन करें। जो अभिभावक बेटियों के विवाह के खर्च को वहन करने में सक्षम नहीं है तथा इस कारण बाल विवाह करवाते है, उन्हें महिला एवं बाल विकास विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग एवं अन्य सरकारी योजनाओं की जानकारी प्रदान करवाया जाएगा। सामूहिक विवाहों को प्रोत्साहित करने हेतु प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। गांव के प्रमुख व्यक्तियों की पहचान कर, उन्हें बाल विवाह रूकवाने की जिम्मेदारी प्रदान की गई है। धार्मिक गुरूओं तथा विभिन्न धार्मिक संस्था प्रधानों को भी बाल विवाह के दुष्परिणामों की एवं कानूनी प्रावधानों की जानकारी देवे तथा इस कार्य में उनका भी सहयोग प्राप्त किया जाएगा।
जिला मजिस्ट्रेट विश्व मोहन शर्मा ने बताया कि कलेक्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक कार्यालय, उपखण्ड अधिकारी एवं तहसील कार्यालयों में नियंत्रण कक्ष स्थापित किये गये हैं। जो 24 घण्टे कार्यशील रहेंगे। कलेक्ट्रेट अजमेर के लिए अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट शहर, अजमेर नियंत्रण कक्ष के प्रभारी, उपखण्ड मुख्यालय पर संबंधित उपखण्ड अधिकारी (बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी) एवं तहसील मुख्यालय पर संबंधित तहसीलदार (बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी) नियंत्रण कक्ष के प्रभारी होंगे।
उन्होने बताया कि जिले में गठित विभिन्न स्वयं सहायता समूह, किशोरी समूह, महिला समूह, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, साथिन, सहयोगिनी बाल विवाह के विरूद्ध वातावरण निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। ऎसे व्यक्ति व समुदाय जो विवाह सम्पन्न कराने में सहयोगी होते है यथा - पण्डित, पण्डाल व टेंट लगाने वाले, हलवाई, ट्रांसपोटर्स, प्रिन्टर्स, बैण्ड-बाजा इत्यादि पर बाल विवाह में सहयोग ना करने के लिए प्रेरित करने के साथ ही इस संबंध में कानूनी प्रावधानों की भी जानकारी दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि गांव मौहल्लों के उन परिवारों में जहां बाल विवाह होने की आशंका हो, वहां समन्वित रूप से समझाईश की जाएगी। बाल विवाहों की रोकथाम हेतु विभिन्न विभाग यथा- महिला एवं बाल विकास विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, पंचायत समिति के ग्राम स्तरीय कार्मिकों को प्रभावी कार्यवाही करने के लिए निर्देशित किया गया है। साथ ही पटवारी, ग्राम सेवक, अध्यापक/ अध्यापिका इत्यादि को बाल विवाह की आशंका/ सूचना होने पर निकट के पुलिस स्टेशन में सूचना देने हेतु पाबंद किया गया है।
उन्होंने बताया कि उपखण्ड अधिकारी/ तहसीलदारों को निर्देशित किया गया है कि बाल विवाह निषेध अधिकारी के रूप में सक्रिय रहकर बेहतर तरीके से कर्तव्यों का निर्वहन करें। जो अभिभावक बेटियों के विवाह के खर्च को वहन करने में सक्षम नहीं है तथा इस कारण बाल विवाह करवाते है, उन्हें महिला एवं बाल विकास विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग एवं अन्य सरकारी योजनाओं की जानकारी प्रदान करवाया जाएगा। सामूहिक विवाहों को प्रोत्साहित करने हेतु प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। गांव के प्रमुख व्यक्तियों की पहचान कर, उन्हें बाल विवाह रूकवाने की जिम्मेदारी प्रदान की गई है। धार्मिक गुरूओं तथा विभिन्न धार्मिक संस्था प्रधानों को भी बाल विवाह के दुष्परिणामों की एवं कानूनी प्रावधानों की जानकारी देवे तथा इस कार्य में उनका भी सहयोग प्राप्त किया जाएगा।
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