राजकीय संग्रहालय में बिखरे कला के रंग, उमड़ा दर्शको का सैलाब
अजमेर। कला और प्यार, कला और अनुभूति, कला और प्रदर्शन, कला और मनन सब एक दूजे से जुड़े है जिसमे उत्सव, संस्कृति, लोक गाथा, नाट्य आदि सब कुछ समाहित है। उक्त विचार सुप्रसिद्ध साहित्यकार, दार्शनिक व चिंतक श्री रघुनन्दन ने पृथ्वीराज फाउंडेशन और लोक कला संस्थान के तत्वावधान में आयोजित कला संवाद में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि मन हर पल को सहेजते हुए इस तरह जीना चाहता है कि हंसी खुशी बिताये हुए लम्हे मन की डायरी मे दर्ज रहे मगर दुख भरे अनुभव हर वक्त तांडव करते है, कुछ इनसे बच जाते है और कुछ इनकी गिरफ्त में आ जाते हैं ।
अजमेर व राजस्थान दिवस के अवसर पर अजमेर जिला प्रशासन, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग राजस्थान, अजमेर विकास प्राधिकरण की ओर से आयोजित चार दिवसीय कला उत्सव में इस संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी में पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के वृत्त अधीक्षक नीरज त्रिपाठी ने कहा कि आदिम काल की तरफ जायें तो नाचना - गाना, चित्र बनाना , कोई इमारत बनाना, बालों को सजाना, कुछ खोजना, बहुत सारे लोगों के साथ रहना, बोलना, बतियाना, अलग अलग जानवरों, पंछियों, तितलियों आदि के मुखौटे बनाना, पहनना यह सब मन की अलग अलग अवस्थाऐं होती थी जो आज भी ललित कलाओं के रूप में विद्यमान हैं ।
उप जिला शिक्षा अधिकारी दर्शना शर्मा ने कहा कि महिला शक्ति है वह पूरा जीवन और अपने रंग अपने तरीकों से बिखेरती है फिर दिनचर्या के कैनवास पर रोज ही अलग -अलग तस्वीर ही तो बनती है। प्रसिद्द लेखिका एवं पृथ्वीराज फाउंडेशन की अध्यक्ष पूनम पांडे ने कहा कि मन को भी मनुष्य की तरह कभी सादगी कभी शोखी कभी शरारत कभी संजीदगी, चहल पहल कभी सुकून कभी मुखरता और कभी मौन पसंद आता होगा ।
वरिष्ठ कलाकार लक्ष्यपाल सिंह राठौड़ ने कहा की मन के पास कौन से गैजेट है क्या क्या व्यवस्था है इसे आज तक कोई सही सही समझ नहीं पाया है । मन हमेशा एक समान नहीं रहता है उसमें सागर की भाँति ज्वार- भाटा चढ़ते- उतरते रहते हैं। हां सबसे पहले इसको भय से मुक्त करना होता है ।उसके बाद ही कलाकार की असली यात्रा आरंभ होती है। प्रसिद्द कलाकार प्रहलाद शर्मा ने कहा की हम कलाकार का मन रखते है तो भीतर की यात्रा करते है। उसके बाद चारों तरफ वही माहौल बनने लगता है।
कार्यक्रम संयोजक दीपक शर्मा व संजय सेठी ने बताया की अजमेर में कला और संस्कृति के प्रचार प्रसार के उद्देश्य से यह आयोजन किया गया जिसमे राजेश कश्यप, प्रियंका सेठी, रुपेश डूडी, शिल्पी मिश्रा, सौरभ भट्ट, निहारिका ने अतिथियों का स्वागत किया। उप जिला शिक्षा अधिकारी नरेंद्र सिंह, कलिंद नंदिनी शर्मा, कुसुम शर्मा ने स्मृति चिन्ह भेट किये।
गुरुवार को राजकीय संग्रहालय में कला उत्सव के दौरान दर्शकों की खासी भीड़ उमड़ी लोक कला संस्थान के संजय कुमार सेठी रंगोली कला का प्रशिक्षण दिया वह चित्तौड़गढ़ से आए मनोज जोशी ने फड़ पेंटिंग का प्रशिक्षण दिया जिसमें फ्लाइंग बर्ड संस्थान के सदस्यों के साथ कई विद्यालयों के विद्यार्थियों ने भाग लिया। राजस्थान के अनेक शहरों से आए कलाकारों ने कैनवस पर स्वीप गतिविधियों व धरोहर पर आधारित पेंटिंग्स बनाई। स्वीप टीम के सदस्यों ने वीवीपैट के बारे में जानकारी दी।
अजमेर व राजस्थान दिवस के अवसर पर अजमेर जिला प्रशासन, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग राजस्थान, अजमेर विकास प्राधिकरण की ओर से आयोजित चार दिवसीय कला उत्सव में इस संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी में पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के वृत्त अधीक्षक नीरज त्रिपाठी ने कहा कि आदिम काल की तरफ जायें तो नाचना - गाना, चित्र बनाना , कोई इमारत बनाना, बालों को सजाना, कुछ खोजना, बहुत सारे लोगों के साथ रहना, बोलना, बतियाना, अलग अलग जानवरों, पंछियों, तितलियों आदि के मुखौटे बनाना, पहनना यह सब मन की अलग अलग अवस्थाऐं होती थी जो आज भी ललित कलाओं के रूप में विद्यमान हैं ।
उप जिला शिक्षा अधिकारी दर्शना शर्मा ने कहा कि महिला शक्ति है वह पूरा जीवन और अपने रंग अपने तरीकों से बिखेरती है फिर दिनचर्या के कैनवास पर रोज ही अलग -अलग तस्वीर ही तो बनती है। प्रसिद्द लेखिका एवं पृथ्वीराज फाउंडेशन की अध्यक्ष पूनम पांडे ने कहा कि मन को भी मनुष्य की तरह कभी सादगी कभी शोखी कभी शरारत कभी संजीदगी, चहल पहल कभी सुकून कभी मुखरता और कभी मौन पसंद आता होगा ।
वरिष्ठ कलाकार लक्ष्यपाल सिंह राठौड़ ने कहा की मन के पास कौन से गैजेट है क्या क्या व्यवस्था है इसे आज तक कोई सही सही समझ नहीं पाया है । मन हमेशा एक समान नहीं रहता है उसमें सागर की भाँति ज्वार- भाटा चढ़ते- उतरते रहते हैं। हां सबसे पहले इसको भय से मुक्त करना होता है ।उसके बाद ही कलाकार की असली यात्रा आरंभ होती है। प्रसिद्द कलाकार प्रहलाद शर्मा ने कहा की हम कलाकार का मन रखते है तो भीतर की यात्रा करते है। उसके बाद चारों तरफ वही माहौल बनने लगता है।
कार्यक्रम संयोजक दीपक शर्मा व संजय सेठी ने बताया की अजमेर में कला और संस्कृति के प्रचार प्रसार के उद्देश्य से यह आयोजन किया गया जिसमे राजेश कश्यप, प्रियंका सेठी, रुपेश डूडी, शिल्पी मिश्रा, सौरभ भट्ट, निहारिका ने अतिथियों का स्वागत किया। उप जिला शिक्षा अधिकारी नरेंद्र सिंह, कलिंद नंदिनी शर्मा, कुसुम शर्मा ने स्मृति चिन्ह भेट किये।
गुरुवार को राजकीय संग्रहालय में कला उत्सव के दौरान दर्शकों की खासी भीड़ उमड़ी लोक कला संस्थान के संजय कुमार सेठी रंगोली कला का प्रशिक्षण दिया वह चित्तौड़गढ़ से आए मनोज जोशी ने फड़ पेंटिंग का प्रशिक्षण दिया जिसमें फ्लाइंग बर्ड संस्थान के सदस्यों के साथ कई विद्यालयों के विद्यार्थियों ने भाग लिया। राजस्थान के अनेक शहरों से आए कलाकारों ने कैनवस पर स्वीप गतिविधियों व धरोहर पर आधारित पेंटिंग्स बनाई। स्वीप टीम के सदस्यों ने वीवीपैट के बारे में जानकारी दी।
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