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डाइबिटीज जागरूकता पर चार दिवसीय 'डाइबिटीज इंडिया 2019' महाकुंभ का जयपुर में आगाज

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जयपुर। डाइबिटीज और उससे जुड़ी बीमारियों पर चर्चा के लिए आज से चार दिवसीय महाकुंभ 'डाइबिटीज इंडिया 2019' की शुरुआत जयपुर के सीतापुरा स्थित जयपुर एग्जीबिशन एंड कन्वेंशन सेंटर (जेइसीसी) में हुआ। 9वीं वर्ल्ड कॉंग्रेस ऑफ डाइबिटीज के अंतर्गत आयोजित हो रहे इस आयोजन का शुभारंभ राजस्थान सरकार में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने किया। डाइबिटीज इंडिया 2019 में 40 से अधिक देशों से अंतरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ भाग लेंगे और 1500 से अधिक डाइबिटीज एक्सपर्ट शामिल होंगे।

कांफ्रेस के अध्यक्ष एवं एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सुधीर भंडारी ने बताया कि डायबिटीज रोग की समस्या पूरे विश्व में सबसे अधिक भारत में है, जो काफी चिंतनीय विषय है। ऐसे में लोगों को इसके बारे में जागरूक करने के साथ ही पूरी दुनिया में डायबिटीज रोग के उपचार के लिए जारी नवाचारों पर कांफ्रेस में मंथन किया जाएगा। कांफ्रेंस में डाइबिटीज के क्षेत्र में कार्यरत 40 से अधिक देशों के 1500 से अधिक अंतरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ शामिल होंगे और इसके बारे में चर्चा करेंगे। साथ ही इसके बारे में लोगों को जागरूक करने के बारे में भी मंथन किया जाएगा।

डाइबिटीज इंडिया 2019 के उद्घाटन समारोह में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा के साथ ही चिकित्सा शिक्षा सचिव हेमंत गैरा भी विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। इस दौरान डॉ. रघु शर्मा ने डायबिटीज इंडिया का जयपुर में आयोजन करने के लिए डायबिटीज इंडिया के अध्यक्ष डॉ. एसएन सादीकोट, महासचिव डॉ. एसआर अरविन्द, कार्यकारी सचिव डॉ. बंशी साबू के साथ ही आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सुधीर भंडारी तथा प्रोग्राम चेयरमेन डॉ. अरविन्द गुप्ता सहित सभी आयोजकों को बधाई दी। 

डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि लाइफस्टाइल डिजीजेज में डायबिटीज सर्वाधिक प्रचलित रोगों में से एक है। हमारे देश में लगभग 7 करोड़ व्यक्ति डायबिटीज से ग्रसित हैं। उन्होंने बताया कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2025 तक भारत दुनिया का डायबिटिक कैपिटल हो जाएगा। इसका मुख्य कारण जीवन शैली में बदलाव, अधिक मसालेदार भोजन, कम व्यायाम, बढ़ता तनाव, जेनेटिक तथा पर्यावरणीय खतरे माने जाते हैं।  उन्होंने कहा कि कुछ वर्षों पूर्व हमने कई बीमारियों को पूरी तरह से तरह खत्म कर दिया है। अब डायबिटीज के लिए भी इसी प्रकार के प्रयासों की जरूरत है।

चिकित्सा मंत्री ने कहा कि डायबिटीज अनेक रोगों की जननी मानी जाती है। प्रारंभिक दौर में ही जांच कर डायबिटीज का निदान और उचित इलाज ही एकमात्र रास्ता है। उन्होंने बताया कि जनघोषणा पत्र में प्रदेशवासियों को स्वास्थ्य का अधिकार देने का संकल्प लिया गया है। इस संकल्प को पूरा करने के लिए संकल्पबद्ध होकर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में निःशुल्क दवा व जांच योजना को प्रभावी ढ़ंग से लागू कर आम जन को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है।

प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा शिक्षा श्री हेमन्त गेरा ने कहा कि डायबिटीज की समस्या अब शहरी क्षेत्रों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी बदलती जीवन शैली के कारण बढ रही है। डायबिटीज जैसी गंभीर चुनौती का सामना करने के लिए इस संबंध में व्यापक जनचेतना आवश्यक है। आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. सुधीर भंडारी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि कॉन्फ्रेंस में देशभर से करीब 2000 चिकित्सकों को डायबिटीज से जुड़े अनेको विषयों पर प्रशिक्षित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में देशभर से 100 से अधिक प्रशिक्षकों के अलावा विदेशों से भी 40 प्रशिक्षक आए हैं।

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