सबका भला करने के लिए जीने की पद्धति का नाम ही है हिन्दू : भागवत
जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत आज राजधानी जयपुर के वैशाली नगर स्थित चित्रकूट स्टेडियम में स्वयंसेवकों की ओर से आयोजित 'स्वर गोविंदम' कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम में भागवत ने कहा कि भारत की संस्कृति और संस्कारों पर जोर देते हुए देश की नई पीढ़ियों को संस्कारवान बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को संस्कारवान बनाकर ही भारत को एक बार फिर से विश्व गुरू बनाया जा सकता है।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी, केंद्रीय मंत्री एवं राजस्थान से भाजपा के राज्यसभा उम्मीदवार अल्फांस कनन्नथानम, पूर्व जस्टिस महेश चंद शर्मा, जयपुर मेयर अशोक लाहोटी, विधायक नरपत सिंह राजवी, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरुण चतुर्वेदी, उच्च तकनीकी शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी, शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी, जयपुर सांसद रामचरण बोहरा समेत कई मंत्री, विधायक, जनप्रतिनिधि और संघ पदाधिकारी व स्वयंसेवक मौजूद थे।
कार्यक्रम में आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने शहीदों की वीरांगनाओं का सम्मान भी किया। भागवत ने कहा कि देश में जाति प्रथा देश का दुर्भाग्य है। इसका समूल नष्ट होना जरूरी है। साथ ही उन्होंने संवैधानिक रुप से दिए आरक्षण व्यवस्था जारी रहने की बात भी कह दी। भागवत ने कहा कि संविधान में जो प्रावधान है, जो विषमता मिलने तक जारी रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यवस्था से समता नहीं आ सकती। व्यवस्था बदलेगी तो समता आएगी।
सरसंघचालक भागवत ने कहा कि हिन्दू शब्द किसी भाषा को लेकर नहीं बना है। सबका भला करने के लिए जीवन जीने की जो पद्धति है उसका नाम हिन्दू दिया है। सौभाग्य से भारत को इसकी पहचान है। हिन्दू नाम से पहचाना जाने वाला एक देश अखंड भारत है। अपनी अपनी छोटी छोटी पहचान को प्रमाणिक बनाते हुए यह संपूर्ण विश्व का कल्याण करने वाली संस्कृति है।
भागवत ने स्वर गोविन्दम कार्यक्रम की महत्ता के बारे में कहा कि इस कार्यक्रम में 1300 बंधु वाद्य यंत्र लेकर उपस्थित है। भारत की सॉफ्ट पावर का एक घटक भारतीय शास्त्रीय संगीत को माना जाता है, जिसकी विशेषता स्वरों की नहीं है। हम उसका स्वर का उपयोग सत्य और करूणा की ओर ले जाता है। इस कार्यक्रम के लिए चित्रकूट स्टेडियम के आसपास के मार्गों पर 6 किलोमीटर तक आकर्षक रंगोली बनाकर सजाया गया।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी, केंद्रीय मंत्री एवं राजस्थान से भाजपा के राज्यसभा उम्मीदवार अल्फांस कनन्नथानम, पूर्व जस्टिस महेश चंद शर्मा, जयपुर मेयर अशोक लाहोटी, विधायक नरपत सिंह राजवी, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरुण चतुर्वेदी, उच्च तकनीकी शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी, शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी, जयपुर सांसद रामचरण बोहरा समेत कई मंत्री, विधायक, जनप्रतिनिधि और संघ पदाधिकारी व स्वयंसेवक मौजूद थे।
कार्यक्रम में आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने शहीदों की वीरांगनाओं का सम्मान भी किया। भागवत ने कहा कि देश में जाति प्रथा देश का दुर्भाग्य है। इसका समूल नष्ट होना जरूरी है। साथ ही उन्होंने संवैधानिक रुप से दिए आरक्षण व्यवस्था जारी रहने की बात भी कह दी। भागवत ने कहा कि संविधान में जो प्रावधान है, जो विषमता मिलने तक जारी रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यवस्था से समता नहीं आ सकती। व्यवस्था बदलेगी तो समता आएगी।
सरसंघचालक भागवत ने कहा कि हिन्दू शब्द किसी भाषा को लेकर नहीं बना है। सबका भला करने के लिए जीवन जीने की जो पद्धति है उसका नाम हिन्दू दिया है। सौभाग्य से भारत को इसकी पहचान है। हिन्दू नाम से पहचाना जाने वाला एक देश अखंड भारत है। अपनी अपनी छोटी छोटी पहचान को प्रमाणिक बनाते हुए यह संपूर्ण विश्व का कल्याण करने वाली संस्कृति है।
भागवत ने स्वर गोविन्दम कार्यक्रम की महत्ता के बारे में कहा कि इस कार्यक्रम में 1300 बंधु वाद्य यंत्र लेकर उपस्थित है। भारत की सॉफ्ट पावर का एक घटक भारतीय शास्त्रीय संगीत को माना जाता है, जिसकी विशेषता स्वरों की नहीं है। हम उसका स्वर का उपयोग सत्य और करूणा की ओर ले जाता है। इस कार्यक्रम के लिए चित्रकूट स्टेडियम के आसपास के मार्गों पर 6 किलोमीटर तक आकर्षक रंगोली बनाकर सजाया गया।
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