'हड़ताल के दौरान मरने वाले मरीजों के परिजनों को डॉक्टर्स से वसूली कर दिया जाए मुआवजा'
जयपुर। हाल ही में सात दिनों तक चली सेवारत चिकित्सकों की हड़ताल को लेकर प्रदेशभर में काफी हंगामा मचा था। इस दौरान जहां अस्पतालों में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था, वहीं समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण प्रदेशभर के अस्पतालों में करीब दो दर्जन से ज्यादा मरीजों की मौत हो गई थी। इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि डॉक्टर्स हड़ताल के कारण मरने वाले मरीजों के परिजनों को डॉक्टर्स से वसूली कर क्षतिपूर्ति दी जानी चाहिए।
राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों नहीं हड़ताल के दौरान मरने वाले मरीजों के परिजनों एवं हड़ताल से प्रभावित होने वाले मरीजों को क्षतिपूर्ति दी जाए। साथ ही कहा गया है कि इसके लिए हड़ताली डॉक्टरों पर जिम्मेदारी तय की जाए। यह भी पूछा गया है कि प्रभावित मरीजों को किस तरह क्षतिपूर्ति दी जाएगी।
डॉ. कुसुम सांघी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हाई कोर्ट में न्यायाधीश एसपी शर्मा की एकलपीठ ने महाधिवक्ता को कहा कि वे राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र पेश कर बताएं कि डॉक्टर्स की जवाबदेही तय करते हुए हड़ताल से प्रभावित हुए मरीजों को किस तरह क्षतिपूर्ति दी जाएगी।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वह स्वास्थ्य विभाग में अतिरिक्त निदेशक के पद पर कार्यरत है। याचिकाकर्ता ने विभाग में वीआरएस के लिए आवेदन किया था, लेकिन आमजन को स्वास्थ्य सेवाएं देने के नाम पर आवेदन खारिज कर दिया गया। इस पर अदालत ने आदेश जारी कर कहा कि प्रदेश में चिकित्सकों के हड़ताल पर जाने के कारण करीब 30 मरीजों की मौत हो चुकी है।
याचिका में कहा गया है कि चिकित्सा मंत्री भी कह चुके हैं कि चिकित्सीय सेवा नहीं मिलने के कारण मरीजों की मौत हुई है। राज्य सरकार की ओर से मांग मानने के बाद हड़ताल तो समाप्त हो गई, लेकिन मरने वालों के परिजनों और प्रभावित हुए मरीजों को किसी तरह की क्षतिपूर्ति नहीं मिली। ऐसे में चिकित्सकों की जवाबदेही तय करते हुए मरीजों को क्षतिपूर्ति दी जानी चाहिए।
राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों नहीं हड़ताल के दौरान मरने वाले मरीजों के परिजनों एवं हड़ताल से प्रभावित होने वाले मरीजों को क्षतिपूर्ति दी जाए। साथ ही कहा गया है कि इसके लिए हड़ताली डॉक्टरों पर जिम्मेदारी तय की जाए। यह भी पूछा गया है कि प्रभावित मरीजों को किस तरह क्षतिपूर्ति दी जाएगी।
डॉ. कुसुम सांघी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हाई कोर्ट में न्यायाधीश एसपी शर्मा की एकलपीठ ने महाधिवक्ता को कहा कि वे राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र पेश कर बताएं कि डॉक्टर्स की जवाबदेही तय करते हुए हड़ताल से प्रभावित हुए मरीजों को किस तरह क्षतिपूर्ति दी जाएगी।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वह स्वास्थ्य विभाग में अतिरिक्त निदेशक के पद पर कार्यरत है। याचिकाकर्ता ने विभाग में वीआरएस के लिए आवेदन किया था, लेकिन आमजन को स्वास्थ्य सेवाएं देने के नाम पर आवेदन खारिज कर दिया गया। इस पर अदालत ने आदेश जारी कर कहा कि प्रदेश में चिकित्सकों के हड़ताल पर जाने के कारण करीब 30 मरीजों की मौत हो चुकी है।
याचिका में कहा गया है कि चिकित्सा मंत्री भी कह चुके हैं कि चिकित्सीय सेवा नहीं मिलने के कारण मरीजों की मौत हुई है। राज्य सरकार की ओर से मांग मानने के बाद हड़ताल तो समाप्त हो गई, लेकिन मरने वालों के परिजनों और प्रभावित हुए मरीजों को किसी तरह की क्षतिपूर्ति नहीं मिली। ऐसे में चिकित्सकों की जवाबदेही तय करते हुए मरीजों को क्षतिपूर्ति दी जानी चाहिए।

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