भू-अभिलेख का नई पद्धति से सर्वे आरंभ, जिला कलेक्टर ने प्रशिक्षण का किया अवलोकन
अजमेर । जिले की अजमेर, पुष्कर, पीसांगन एवं नसीराबाद तहसीलों के भू-अभिलेख का सर्वे आरंभ हो गया है। इसका अवलोकन जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने मंगलवार को राजस्व अनुसंधान प्रशिक्षण संस्थान अजमेर में किया। साथ ही कम्पनी के अधिकारियों से सैटेलाइट के द्वारा जमीन नापने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी ली।
गोयल ने बताया कि डिजीटल इण्डिया भू-अभिलेख आधुनिकीकरण योजना ( डीआईएलआरएमपी) के अन्तर्गत अजमेर जिले की अजमेर, पुष्कर, पीसांगन एवं नसीराबाद तहसीलों के भूमि संबंधी रिकॉर्ड का सर्वे आरंभ हो गया है। यह सर्वे एचआरएसआई नामक नई डीनोवा सर्वे तकनीक पर आधारित है। इस कार्य में आधुनिक सर्वे यंत्रों ईटीएस, डीजीपीएस एवं हाई रिज्युलेशन सैटेलाईट इमेजरी का उपयोग किया जा रहा है। भू अभिलेख की बंदोबस्त संक्रियाएं संचालित कर इलेक्ट्रॉनिक मोड पर डिजीटल जीआईएस रेडी नक्शों को आज दिनांक तक तैयार कर भू-अभिलेख की पारदर्शी व्यवस्था लागू होगी। इसके अन्तर्गत कन्क्लूजिव टाईटल एवं काश्तकार को इसका सही नक्शा व जमाबंदी की प्रति ऑनलाइन प्राप्त हो सकेगी।
भू-प्रबंध अधिकारी किशोर कुमार ने बताया कि जिले की चारों तहसीलों की जमीन फीता, डोरी एवं जरीब के बिना सैटेलाइट के माध्यम से नापी जाएगी। डिजीटल इण्डिया भू अभिलेख आधुनिकीकरण योजना के अन्तर्गत सिकॉन कम्पनी द्वारा सैटेलाइट सिस्टम के ऑयकॉनिक पोइंट स्थापित किए जाएंगे। प्रारंभ में इनकी स्थापना जिला मुख्यालय पर की जाएगी। इसके पश्चात तहसील स्तर पर सब ऑयकॉनिक पोइंट स्थापित किए जाएंगे। इसके अगले चरण में इन तहसीलों में प्रत्येक दो वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में एक पोइंट स्थापित होगा। इनकी स्थापना सैटेलाइट के नेशनल ग्रिड के अनुसार की जाएगी। ये पोइंट भविष्य में बेस पोइंट की तरह कार्य करेंगे। प्रत्येक पोइंट पर सैटेलाइट से जुड़ी डिजीटल जीपीएस मशीन रखी जाएगी। उसके द्वारा प्रत्येक 2 सैकण्ड में क्षेत्र की इमेज ली जाएगी। यह कार्य 72 घण्टे तक लगातार किया जाएगा। सैटेलाइट के माध्यम से इस उपकरण द्वारा परिशुद्धता के साथ मापन किया जाता है। इसकी एक्यूरेसी सीमा 40 सेंटीमीटर तक की है। वर्तमान में निर्मित संरचनाओं की जानकारी भी नक्शे में उपलब्ध रहेगी। मौके पर उपयोग होने वाले रास्तों को भी नक्शे में दर्शाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में भू-अभिलेख का कार्य निरीक्षक एवं पटवारी के द्वारा किया जा रहा है। भूमि का रिकॉर्ड देखने के लिए कागजात काम में लिए जाते है। भू अभिलेख के डिजीटीलिकरण से ग्रामीणों को जमीन की जानकारी मोबाइल एवं कम्प्यूटर पर प्राप्त की जा सकेगी। इसके साथ ही नपती के कारण आने वाली समस्याओं में कमी आएगी तथा आपसी विवादों का निपटारा आसानी से हो सकेगा।
उन्होंने बताया कि डिजीलिकरण का कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण होने पर भविष्य में भूमि नापने के लिए मौके पर जाने की आवश्यता नहीं रहेगी। सिंगल विण्डो सिस्टम के द्वारा जानकारी उपलब्ध होने से रजिस्ट्री में भी इसका उपयोग किया जा सकेगा। काश्तकारों को जमाबंदी के साथ जमीन का नक्शा भी उपलब्ध होने से सहुलियत रहेगी।
इस अवसर पर अतिरिक्त जिला कलेक्टर कैलाश चन्द्र शर्मा, उपखण्ड अधिकारी अंकित कुमार सिंह, सिकॉन कम्पनी के रेजीडेंट मैनेजर बी.एम.शिंदे एवं चारों तहसीलों के तहसीलदार उपस्थित थे।
गोयल ने बताया कि डिजीटल इण्डिया भू-अभिलेख आधुनिकीकरण योजना ( डीआईएलआरएमपी) के अन्तर्गत अजमेर जिले की अजमेर, पुष्कर, पीसांगन एवं नसीराबाद तहसीलों के भूमि संबंधी रिकॉर्ड का सर्वे आरंभ हो गया है। यह सर्वे एचआरएसआई नामक नई डीनोवा सर्वे तकनीक पर आधारित है। इस कार्य में आधुनिक सर्वे यंत्रों ईटीएस, डीजीपीएस एवं हाई रिज्युलेशन सैटेलाईट इमेजरी का उपयोग किया जा रहा है। भू अभिलेख की बंदोबस्त संक्रियाएं संचालित कर इलेक्ट्रॉनिक मोड पर डिजीटल जीआईएस रेडी नक्शों को आज दिनांक तक तैयार कर भू-अभिलेख की पारदर्शी व्यवस्था लागू होगी। इसके अन्तर्गत कन्क्लूजिव टाईटल एवं काश्तकार को इसका सही नक्शा व जमाबंदी की प्रति ऑनलाइन प्राप्त हो सकेगी।
भू-प्रबंध अधिकारी किशोर कुमार ने बताया कि जिले की चारों तहसीलों की जमीन फीता, डोरी एवं जरीब के बिना सैटेलाइट के माध्यम से नापी जाएगी। डिजीटल इण्डिया भू अभिलेख आधुनिकीकरण योजना के अन्तर्गत सिकॉन कम्पनी द्वारा सैटेलाइट सिस्टम के ऑयकॉनिक पोइंट स्थापित किए जाएंगे। प्रारंभ में इनकी स्थापना जिला मुख्यालय पर की जाएगी। इसके पश्चात तहसील स्तर पर सब ऑयकॉनिक पोइंट स्थापित किए जाएंगे। इसके अगले चरण में इन तहसीलों में प्रत्येक दो वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में एक पोइंट स्थापित होगा। इनकी स्थापना सैटेलाइट के नेशनल ग्रिड के अनुसार की जाएगी। ये पोइंट भविष्य में बेस पोइंट की तरह कार्य करेंगे। प्रत्येक पोइंट पर सैटेलाइट से जुड़ी डिजीटल जीपीएस मशीन रखी जाएगी। उसके द्वारा प्रत्येक 2 सैकण्ड में क्षेत्र की इमेज ली जाएगी। यह कार्य 72 घण्टे तक लगातार किया जाएगा। सैटेलाइट के माध्यम से इस उपकरण द्वारा परिशुद्धता के साथ मापन किया जाता है। इसकी एक्यूरेसी सीमा 40 सेंटीमीटर तक की है। वर्तमान में निर्मित संरचनाओं की जानकारी भी नक्शे में उपलब्ध रहेगी। मौके पर उपयोग होने वाले रास्तों को भी नक्शे में दर्शाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में भू-अभिलेख का कार्य निरीक्षक एवं पटवारी के द्वारा किया जा रहा है। भूमि का रिकॉर्ड देखने के लिए कागजात काम में लिए जाते है। भू अभिलेख के डिजीटीलिकरण से ग्रामीणों को जमीन की जानकारी मोबाइल एवं कम्प्यूटर पर प्राप्त की जा सकेगी। इसके साथ ही नपती के कारण आने वाली समस्याओं में कमी आएगी तथा आपसी विवादों का निपटारा आसानी से हो सकेगा।
उन्होंने बताया कि डिजीलिकरण का कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण होने पर भविष्य में भूमि नापने के लिए मौके पर जाने की आवश्यता नहीं रहेगी। सिंगल विण्डो सिस्टम के द्वारा जानकारी उपलब्ध होने से रजिस्ट्री में भी इसका उपयोग किया जा सकेगा। काश्तकारों को जमाबंदी के साथ जमीन का नक्शा भी उपलब्ध होने से सहुलियत रहेगी।
इस अवसर पर अतिरिक्त जिला कलेक्टर कैलाश चन्द्र शर्मा, उपखण्ड अधिकारी अंकित कुमार सिंह, सिकॉन कम्पनी के रेजीडेंट मैनेजर बी.एम.शिंदे एवं चारों तहसीलों के तहसीलदार उपस्थित थे।
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