आरूषि-हेमराज हत्याकांड : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में किया तलवार दंपत्ति को बरी
नई दिल्ली। साल 2008 में हुए नोएडा के बहुचर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आज फैसला सुना दिया है, जिसके तहत कोर्ट ने डॉ. राजेश और नूपुर तलवार को बरी कर दिया है। तलवार दंपति ने सीबीआई कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। 26 नवंबर, 2013 को उनको सीबीआई कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। तलवार दंपति इस समय गाजियाबाद के डासना जेल में सजा काट रहे हैं।
न्यायमूर्ति बीके नारायण और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र की खंडपीठ इस केस में आरोपी दंपत्ति डॉ. राजेश तलवार और नुपुर तलवार को जांच में कमियां बताते हुए बरी कर दिया है। इस मामले में आरोपी दंपती डॉ. राजेश तलवार और नूपुर तलवार ने सीबीआई कोर्ट गाजियाबाद की ओर से उम्रकैद की सजा के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी।
बीआई की विशेष अदालत ने राजेश-नुपुर तलवार दम्पति को अपनी बेटी आरुषि और घरेलू नौकर हेमराज के कत्ल का दोषी पाया था और उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ राजेश-नुपुर तलवार दम्पति की अर्जी पर न्यायमूर्ति बी.के. नारायण और न्यायमूर्ति अरविन्द कुमार मिश्र की खण्डपीठ ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया। अदालत ने सात सितम्बर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और फैसला सुनाने की तारीख 12 अक्टूबर तय की थी।
इस दोहरे हत्याकांड में आरोपी दंपती डा. राजेश तलवार और नुपुर तलवार ने सीबीआई कोर्ट गाजियाबाद की ओर से दी गई आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील दाखिल की है। तब दोनों पक्षों की लंबी बहस के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। गौरतलब है कि गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत ने 2013 में डॉ. राजेश और नुपूर तलवार को अपनी बेटी आरूषि और घरेलू सहायक हेमराज की हत्या का दोषी करार दिया था। सीबीआई अदालत के इसी फैसले के खिलाफ तलवार दंपति ने उच्च न्यायालय में अपील की थी।
उल्लेखनीय है कि 16 मई 2008 को नोएडा के जलवायु विहार इलाके में 14 साल की आरुषि का शव बरामद हुआ। शुरूआत में शक की सुई 45 साल के हेमराज की तरफ गई, लेकिन बाद में अगले ही दिन पड़ोसी की छत से नौकर हेमराज का भी शव बरामद किया गया। इस मामले में पुलिस ने आरुषि के पिता राजेश तलवार को गिरफ़्तार किया। 29 मई 2008 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की। सीबीआई जांच के दौरान तलवार दम्पति पर हत्या के केस दर्ज हुए।
पेशे से डॉक्टर दंपती पर अपनी इकलौती संतान आरुषि (14 साल) के साथ अपने घरेलू नौकर हेमराज (45 साल) की हत्या करने और सबूत मिटाने के आरोप लगे। ये हत्याकाण्ड उस समय हुआ जब आरुषि के माता-पिता दोनों ही फ्लैट में मौजूद थे। इस मामले में विशेष अदालत ने मई 2008 में हुए दोहरे हत्याकांड में तलवार दंपति को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। तलवार दंपति अभी गाजियाबाद की डासना जेल में बंद है। 29 अगस्त 2016 को उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद नुपूर कुछ दिनों के लिए पैरोल पर रिहा की गई थी।
न्यायमूर्ति बीके नारायण और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र की खंडपीठ इस केस में आरोपी दंपत्ति डॉ. राजेश तलवार और नुपुर तलवार को जांच में कमियां बताते हुए बरी कर दिया है। इस मामले में आरोपी दंपती डॉ. राजेश तलवार और नूपुर तलवार ने सीबीआई कोर्ट गाजियाबाद की ओर से उम्रकैद की सजा के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी।
बीआई की विशेष अदालत ने राजेश-नुपुर तलवार दम्पति को अपनी बेटी आरुषि और घरेलू नौकर हेमराज के कत्ल का दोषी पाया था और उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ राजेश-नुपुर तलवार दम्पति की अर्जी पर न्यायमूर्ति बी.के. नारायण और न्यायमूर्ति अरविन्द कुमार मिश्र की खण्डपीठ ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया। अदालत ने सात सितम्बर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और फैसला सुनाने की तारीख 12 अक्टूबर तय की थी।
इस दोहरे हत्याकांड में आरोपी दंपती डा. राजेश तलवार और नुपुर तलवार ने सीबीआई कोर्ट गाजियाबाद की ओर से दी गई आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील दाखिल की है। तब दोनों पक्षों की लंबी बहस के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। गौरतलब है कि गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत ने 2013 में डॉ. राजेश और नुपूर तलवार को अपनी बेटी आरूषि और घरेलू सहायक हेमराज की हत्या का दोषी करार दिया था। सीबीआई अदालत के इसी फैसले के खिलाफ तलवार दंपति ने उच्च न्यायालय में अपील की थी।
उल्लेखनीय है कि 16 मई 2008 को नोएडा के जलवायु विहार इलाके में 14 साल की आरुषि का शव बरामद हुआ। शुरूआत में शक की सुई 45 साल के हेमराज की तरफ गई, लेकिन बाद में अगले ही दिन पड़ोसी की छत से नौकर हेमराज का भी शव बरामद किया गया। इस मामले में पुलिस ने आरुषि के पिता राजेश तलवार को गिरफ़्तार किया। 29 मई 2008 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की। सीबीआई जांच के दौरान तलवार दम्पति पर हत्या के केस दर्ज हुए।
पेशे से डॉक्टर दंपती पर अपनी इकलौती संतान आरुषि (14 साल) के साथ अपने घरेलू नौकर हेमराज (45 साल) की हत्या करने और सबूत मिटाने के आरोप लगे। ये हत्याकाण्ड उस समय हुआ जब आरुषि के माता-पिता दोनों ही फ्लैट में मौजूद थे। इस मामले में विशेष अदालत ने मई 2008 में हुए दोहरे हत्याकांड में तलवार दंपति को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। तलवार दंपति अभी गाजियाबाद की डासना जेल में बंद है। 29 अगस्त 2016 को उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद नुपूर कुछ दिनों के लिए पैरोल पर रिहा की गई थी।
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