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संत बनने के खातिर इस जोड़े ने ठुकरा दी करोड़ों की प्रॉपर्टी और ऐशोआराम की जिंदगी

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चित्तौड़गढ़। आज जब कई ऐसे कथित बाबाओं के नाम सामने आ रहे हैं, जो अथाह दौलत कमाने के लिए कथित तौर पर संत बन जाते हैं और फिर अपने काले कारनामे सामने आने के बाद उनका असली रूप सामने आता है। ऐसे में कोई ये कल्पना भी नहीं कर सकता कि कोई अपनी अथाह दौलत और करोड़ों रुपए की प्रोपर्टी को छोड़कर साधू—संत बना सकता है। लेकिन यदि आपसे कहा जाए कि इस आम धारणा को तोड़ते हुए एक जोड़े ने ठीक ऐसा ही किया है, जिस पर आप यकीन तक भी नहीं कर पाएंगे।

जी हां, ये महज काई कल्पना या कोई प्राचीन कहानी—किस्सा नहीं है, बल्कि हकीकत है। और ये वास्तविक वाकिया पेश आया है राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में, जहां एक जोड़े ने अपनी करोड़ो रुपए की दौलत—प्रोपर्टी और ऐशोआराम की जिंदगी को छोड़कर संत बनने का न सिर्फ मन ही बना लिया है, बल्कि परिवार के लोगों द्वारा समझाने की लाख कोशिश करने के बाद भी ये दोनों अपने फैसले पर अटल हैं।
करीब 34 साल के सुमित राठौड़ नीमच में बड़े बिजनेस घराने से ताल्लुक रखते हैं और लंदन से बिजनेस का डिप्लोमा कर चुके हैं। वहीं सुमित की पत्नी अनामिका ने इंजीनियरिंग की है। खबरों के अनुसार दोनों ने चार साल पहले ही शादी की और इनकी एक 3 साल की बेटी भी है। परिवार की लगभग 100 करोड़ से ज्यादा की सम्पत्ति है और लाखों की कमाई होती है, लेकिन ऐशोआराम की जिंदगी बिताने की जगह दोनों ने संत बनने का फैसला ले लिया। अब ये दोनों 23 सितंबर को सूरत में जैन भगवती दीक्षा ग्रहण करेंगे।

सुमित-अनामिका की प्रोपर्टी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इनके दादा नाहरसिंह का नीमच कैंट में 1.25 लाख वर्गफीट में अंग्रेजों का बनाया हुआ बड़ा कॉमर्शियल कैंपस है। इसके साथ ही नीमच सिटी में रहने के लिए अलग से बंगला भी है।
सुमित और अनामिका का कहना है कि उन्हें आत्मकल्याण का बोध हो गया है, इसलिए अब ये दोनों संत बनने का मन बना चुके हैं। उनका कहना है कि जब उनकी बेटी आठ महीने की हुई थी, तभी से ये दोनों ब्रह्मचर्य धर्म का पालन कर रहे हैं। बच्ची के बारे में बात करने पर दोनों ने कहा कि ये बच्ची ही तो पुण्यशाली है, जिसके गर्भ में आते ही हमें आत्म कल्याण का बोध हुआ।

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