1,104 करोड़ रुपए जुटाने के लिए 2 नवंबर से खुलेगा Fusion Microfinance IPO
जयपुर। ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी कंपनी वारबर्ग पिंकस द्वारा समर्थित Fusion Microfinance IPO दो नवंबर से खुलेगा, जिसमें निवेशक 4 नवंबर तक इन्वेस्ट कर सकते हैं। जबकि एंकर निवेशक शेयरों के लिए एक नवंबर को बोली लगा सकेंगे। इस आईपीओ के जरिये कंपनी की 1,104 करोड़ रुपए जुटाने की योजना है। आईपीओ से प्राप्त राशि का उपयोग कंपनी के पूंजी आधार को बढ़ाने के लिए किया जाएगा। आईपीओ के लिए 350 रुपए से 368 रुपये का प्राइस बैंड तय किया गया है, जिसमें एक लॉट 40 शेयरों का रखा गया है। आईपीओ के जरिये 600 करोड़ रुपये के फ्रेश इश्यू जारी किए जाएंगे, जबकि 504 करोड़ रुपए के ओएफएस यानी ऑफर फॉर सेल भी रखा गया है।
कंपनी की ओर से मौजूदा शेयरधारकों और प्रमोटर्स के लिए 13,695,466 शेयरों का ओएफएस शामिल है। जानकारी के मुताबिक, ऑफर फॉर सेल के तहत देवेश सचदेव, मिनी सचदेव, हनी रोज इन्वेस्टमेंट लिमिटेड, क्रिएशन इन्वेस्टमेंट फ्यूजन, ओइकोक्रेडिट इक्यूमेनिकल डेवलेपमेंट को-ऑपरेटिव सोसाइटी यूए, एलएलसी और ग्लोबल फाइनेंशियल इन्क्लूशन फंड अपने शेयर बेच रहे हैं। माइक्रोफाइनेंस कंपनी का हेड ऑफिस दिल्ली में है। यह कंपनी देश में वंचित महिलाओं को उनके फाइनेंशियल रूप से मजबूत करने के लिए उन्हें आर्थिक अवसरों उपलब्ध कराने का काम करती है।
इस आईपीओ के लिए ICICI सिक्योरिटीज, CLSA इंडिया, IIFL सिक्योरिटीज और JM फाइनेंशियल को लीड मैनेजर्स नियुक्त किया गया है। कंपनी की योजना 15 नवंबर तक स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्ट होने की है। कंपनी के एमडी एवं सीईओ देवेश सचदेव ने बताया कि IPO से मिली पैसों का इस्तेमाल भविष्य की कैपिटल जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने कैपिटल बेस को बढ़ाने में किया जाएगा। जून 2022 तक की जानकारी के मुताबिक, फ्यूजन माइक्रो फाइनेंस का CRAR 21.13 फीसदी थी, जिसमें टियर-1 19.45 फीसदी था।
इसका नेट इंटरेस्ट इनकम जून तिमाही के अंत में 184.68 करोड़ रुपये रहा, जो इसके एक साल पहले की इसी अवधि में 124.59 करोड़ रुपये था। इसका नेट प्रॉफिट जून तिमाही में 75.10 करोड़ रुपये रहा था, जो एक साल पहले की इसी अवधि में 4.41 करोड़ रुपये था। फ्यूजन माइक्रो फाइनेंस को साल 2010 में शुरू किया गया था। यह देश के ग्रामीण इलाकों में बैंकिंग सेवाओं की पहुंच से दूर वाली महिलाओं को वित्तीय सेवाएं प्रदान करती है। जून तिमाही के अंत में इसका ग्रॉस एसेट अंडर मैनेजमेंट करीब 73.89 अरब रुपये था, जो एक साल पहले की इसी अवधि से 59.6 फीसदी अधिक है।
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