अजमेर दरगाह ब्लास्ट मामले के दोषी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा
जयपुर। अजमेर स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की विश्वविख्यात दरगाह में साल 2007 में 11 अक्टूबर को हुए बम ब्लास्ट के मामले में राजधानी जयपुर में सीबीआई की विशेष अदालत ने आज एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस बहुचर्चित मामले में दोषी ठहराए गए दोनों आरोपियों को आज आजीवन कारावास की सजा का ऐलान किया है। इस मामले में तीन आरोपियों को दोषी ठहराया गया था, जिनमें से एक आरोपी सुनील जोशी की पहले ही मौत हो चुकी है। सजा के साथ ही अदालत ने दोनों अभियुक्तों पर कुल 38 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। अदालत ने दोनों अभियुक्तों को आतंकी कार्य में शामिल मानते हुए धार्मिक भावनाएं भडकाने का दोषी माना है। इसके अलावा अदालत ने भावेश गुप्ता को बम प्लांट करने और देवेन्द्र को आपराधिक षडयंत्र का भी दोषी माना है।
अदालत ने एनआईए की ओर से इन्द्रेश कुमार और प्रज्ञासिंह सहित अन्य के खिलाफ पूर्व में पेश रिपोर्ट को विधि सम्मत नहीं मानते हुए एनआईए के डीजीपी को आदेश दिए हैं कि वह आरोपी रमेश गोहिल व अमित के साथ-साथ चार संदिग्ध प्रज्ञासिंह, इन्द्रेश कुमार, समन्दर और जयंति भाई के संबंध में 28 मार्च तक अंतिम परिणाम की रिपोर्ट पेश करे। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि देवेन्द्र गुप्ता बम ब्लास्ट में सक्रिय तौर पर लिप्त रहा और घटना सुनिश्चित करने के लिए टाइमर डिवाइस के तौर पर काम आने वाली मोबाइल सिम उपलब्ध कराई।
गौरतलब है कि इससे पूर्व सीबीआई की विशेष कोर्ट ने सजा के बिन्दुओं पर 18 मार्च को ही सुनवाई पूरी कर ली थी। दोनों पक्षों की ओर से सारे तथ्य पेश किए जा चुके हैं। अब आज इस मामले का अंतिम फैसला सुनाया गया है। इससे पहले सुनवाई में सजा के बिन्दुओं को लेकर दोनों पक्षों के वकीलों में काफी बहस हुई थी। सीआरपीसी की धाराओं और अनलॉफुल एक्टिविजीट प्रिवेन्शन एक्ट की धाराओं को लेकर दोनों पक्षों में बहस हुई थी। एनआईए के वकील दोनों ही सेक्शन में सजा देने की मांग कर रहे थे जबकि बचाव पक्ष ने सीआरपीसी के सेक्शन में ही सजा देने की अपील की थी। आरोपी देवेन्द्र गुप्ता षड़यंत्र का दोषी है।
गौरतलब है कि इस मामले में अभियोजन पक्ष की तरफ से करीब 149 गवाह पेश किए गए, जिसमें से करीब 26 महत्वपूर्ण गवाह पक्षद्रोही हो गए थे। इस प्रकरण में देवेन्द्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, चन्द्रशेखर लेवे, स्वामी असीमानन्द, हर्षद सोलंकी, मुकेश बसानी, भरतमोहनलाल रतेश्वर, भावेश अरविन्द भाई पटेल और मफत उर्फ मेहूल को गिरफ्तार किया। जबकि एक अन्य आरोपी सुनील जोशी की मौत हो चुकी है। इनमें से देवेन्द्र गुप्ता, भावेश और सुनील जोशी को किया दोषी करार दिया गया है। इस मामले में चार आरोपी अभी भी फरार चल रहे हैं। फरार आरोपियों में सुरेश नायर, अमित ऊर्फ हकला, संदीप डांगे और रामचंद्र कंलसागरा शामिल है।
उल्लेखनीय है कि साल 2007 में 11 अक्टूबर की शाम अजमेर स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की विश्वविख्यात दरगाह में हुए बम ब्लास्ट में तीन लोगों की जान गई थी और एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस मामले में देवेन्द्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, चन्द्रशेखर लेवे, स्वामी असीमानन्द, हर्षद सोलंकी, मुकेश बसानी, भरतमोहन लाल रतेश्वर, भावेश अरविन्द भाई पटेल और मफत उर्फ मेहूल को गिरफ्तार किया। इनमें से मृत सुनील जोशी समेत देवेन्द्र गुप्ता और भावेश को दोषी करार दिया गया है, जिन्हें आज आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
अदालत ने एनआईए की ओर से इन्द्रेश कुमार और प्रज्ञासिंह सहित अन्य के खिलाफ पूर्व में पेश रिपोर्ट को विधि सम्मत नहीं मानते हुए एनआईए के डीजीपी को आदेश दिए हैं कि वह आरोपी रमेश गोहिल व अमित के साथ-साथ चार संदिग्ध प्रज्ञासिंह, इन्द्रेश कुमार, समन्दर और जयंति भाई के संबंध में 28 मार्च तक अंतिम परिणाम की रिपोर्ट पेश करे। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि देवेन्द्र गुप्ता बम ब्लास्ट में सक्रिय तौर पर लिप्त रहा और घटना सुनिश्चित करने के लिए टाइमर डिवाइस के तौर पर काम आने वाली मोबाइल सिम उपलब्ध कराई।
गौरतलब है कि इससे पूर्व सीबीआई की विशेष कोर्ट ने सजा के बिन्दुओं पर 18 मार्च को ही सुनवाई पूरी कर ली थी। दोनों पक्षों की ओर से सारे तथ्य पेश किए जा चुके हैं। अब आज इस मामले का अंतिम फैसला सुनाया गया है। इससे पहले सुनवाई में सजा के बिन्दुओं को लेकर दोनों पक्षों के वकीलों में काफी बहस हुई थी। सीआरपीसी की धाराओं और अनलॉफुल एक्टिविजीट प्रिवेन्शन एक्ट की धाराओं को लेकर दोनों पक्षों में बहस हुई थी। एनआईए के वकील दोनों ही सेक्शन में सजा देने की मांग कर रहे थे जबकि बचाव पक्ष ने सीआरपीसी के सेक्शन में ही सजा देने की अपील की थी। आरोपी देवेन्द्र गुप्ता षड़यंत्र का दोषी है।
गौरतलब है कि इस मामले में अभियोजन पक्ष की तरफ से करीब 149 गवाह पेश किए गए, जिसमें से करीब 26 महत्वपूर्ण गवाह पक्षद्रोही हो गए थे। इस प्रकरण में देवेन्द्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, चन्द्रशेखर लेवे, स्वामी असीमानन्द, हर्षद सोलंकी, मुकेश बसानी, भरतमोहनलाल रतेश्वर, भावेश अरविन्द भाई पटेल और मफत उर्फ मेहूल को गिरफ्तार किया। जबकि एक अन्य आरोपी सुनील जोशी की मौत हो चुकी है। इनमें से देवेन्द्र गुप्ता, भावेश और सुनील जोशी को किया दोषी करार दिया गया है। इस मामले में चार आरोपी अभी भी फरार चल रहे हैं। फरार आरोपियों में सुरेश नायर, अमित ऊर्फ हकला, संदीप डांगे और रामचंद्र कंलसागरा शामिल है।
उल्लेखनीय है कि साल 2007 में 11 अक्टूबर की शाम अजमेर स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की विश्वविख्यात दरगाह में हुए बम ब्लास्ट में तीन लोगों की जान गई थी और एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस मामले में देवेन्द्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, चन्द्रशेखर लेवे, स्वामी असीमानन्द, हर्षद सोलंकी, मुकेश बसानी, भरतमोहन लाल रतेश्वर, भावेश अरविन्द भाई पटेल और मफत उर्फ मेहूल को गिरफ्तार किया। इनमें से मृत सुनील जोशी समेत देवेन्द्र गुप्ता और भावेश को दोषी करार दिया गया है, जिन्हें आज आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।

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